केदारनाथ हाईवे पर स्लाइडिंग जोन की चुनौती बरकरार
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम के कपाट आगामी 25 अप्रैल को खोले जाने हैं, लेकिन रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड (केदारनाथ) राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात की दृष्टि से अभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जा सकता। आलवेदर रोड निर्माण के दौरान कई स्थानों पर जो स्लाइडिंग जोन सक्रिय हुए हैं, वहां हल्की वर्षा में भी पहाड़ी दरकने लगती है। हालांकि, राजमार्ग पर यातायात व्यवस्था सुचारु एवं सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन की ओर से कार्य शुरू कर दिए गए हैं और स्लाइडिंग जोन पर भी सुरक्षित यातायात के लिए कार्य गतिमान है। बावजूद इसके बरसात की चुनौतियां कम हो पाएंगी, इसका दावा नहीं किया जा सकता। इस अवधि में राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही मुश्किल हो जाती है।
76 किमी लंबे रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर वर्तमान में 13 स्लाइडिंग जोन सक्रिय है, जबकि दो दर्जन ब्लाक स्पाट चिह्नित हैं। इनके ट्रीटमेंट को अभी तक कवायद शुरू नहीं हुई है। इन स्लाइडिंग जोन पर वाहनों पर पत्थर व मलबा गिरने का खतरा बना रहता है। बड़ासू, डोलिया देवी, सेमी भैरासी, बांसवाड़ा व मुनकटिया समेत एक दर्जन से अधिक स्लाइडिंग जोन तो बरसात शुरू होते ही सक्रिय हो जाते हैं।
दूसरी ओर, कुंड से लेकर गुप्तकाशी तक राजमार्ग लगातार धंस रहा है। बाईपास का निर्माण भी फिलहाल रुका हुआ है, जिससे इस यात्राकाल में भी यात्रियों को ऊबड़ खाबड़ राजमार्ग पर हिचकोले खाने पड़ सकते हैं।
खासकर जवाड़ी बाईपास में मोटर पुल के पास गौरीकुंड हाइवे बेहद संकरा है। यहां क्रास बैरियर, संकेतक और रिफ्लेक्टर लाइट न होने से यहां हमेशा दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। इसके अलावा बांसबाड़ा से लेकर गुप्तकाशी तक भी एक दर्जन स्थानों पर ब्लाक स्पाट चिह्नित हैं।
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिरोबगड़ से लेकर रुद्रप्रयाग तक लगभग 22 किमी हिस्से में कई डेंजर जोन स्थित हैं। केदारनाथ जाने के लिए ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग तक इसी राजमार्ग से आवाजाही होती है। राजमार्ग के इस हिस्से में भी वर्षा होते ही पहाड़ी से पत्थर व मलबा गिरने का सिलसिला शुरू हो जाता है, जिससे वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा लगातार बना रहता है।