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स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के प्रभाव के आधार राज्यों को अपने जिले को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में निर्धारित करने का निर्देश दिया

नई दिल्ली। लॉकडाउन में राहत देने के गृहमंत्रालय के गाइडलाइंस के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के प्रभाव के आधार राज्यों को अपने जिले को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में निर्धारित करने का निर्देश दिया है। इनमें रेड और आरेंज जोन में कोरोना वायरस का कंटेनमेंट प्लान लागू होगा और वहां किसी तरह की आर्थिक गतिविधि की इजाजत नहीं दी जाएगी। लेकिन ग्रीन इलाकों में शारीरिक दूरी और मास्क की अनिवार्यता के साथ आर्थिक व सामाजिक गतिविधियों की इजाजत मिलेगी। 28 दिन तक कोरोना का एक भी मरीज सामने नहीं आने के बाद ऑरेंज जोन ग्रीन जोन में तब्दील हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार देश में कुल 170 जिले रेड जोन हैं, वहीं 207 जिले ऑरेंज जोन है। जाहिर है देश में कुल 736 जिलों में 359 जिले पूरी तरह से कोराना से मुक्त हैं और ग्रीन जोन में हैं। रेड और आरेंज जोन में अंतर समझाते हुए उन्होंने कहा कि रेड जोन में वे इलाके शामिल हैं, जहां कोरोना के हॉटस्पॉट हैं। जबकि आरेंज जोन में कोई भी हॉटस्पॉट एरिया नहीं है। रेड जोन को भी दो भागों में बांटा गया है। रेड जोन में कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां कोरोना का आउटब्रेक हुआ है। ऐसे जिलों की संख्या 123 है। इसके अलावा कुछ रेड जोन वाले जिले में कोरोना के मरीजों बहुत सारे मरीज सामने आए हैं और वहां कलस्टर बन गए हैं। ऐसे जिलों की संख्या 47 हैं।

देश के ये जिले रेड जोन में  स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बिहार का सीवान, दिल्ली के दक्षिणी, दक्षिणी पूर्वी, शाहदरा, पश्चिमी उत्तरी और मध्य दिल्ली, उत्तरप्रदेश के आगरा, नोएडा, मेरठ, लखनऊ गाजियाबाद, शामली, फिरोजाबाद, मोरादाबाद और सहारनपुर रेड जोन में कोरोना आउटब्रेक वाले जिलों में शामिल है। जबकि बिहार का मुंगेर, बेगुसराय और गया, दिल्ली का उत्तरी-पश्चिमी, उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर और उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर, सीतापुर, बस्ती और बागपत रेड जोन के कलस्टर वाले जिलों में है।

देश के ये जिले ऑरेंज जोन में शामिल इसी तरह बिहार के गोपालगंज, नवादा, भागलपुर,सारन, लखीसराय, नालंदा और पटना, दिल्ली का उत्तरी-पूर्वी और उत्तरप्रदेश के कानपुर नगर, वाराणसी, अमरोहा, हापुड़, महाराजगंज, प्रतापगढ़ और रामपुर जैसे जिले ऑरेंज जोन में शामिल हैं, जहां न तो कोरोना का कलस्टर और न ही आउटब्रेक हुआ है। यहां कुछ केस पाए गए थे। लव अग्रवाल के अनुसार राज्यों को पत्र लिखकर अपने-अपने यहां रेड, आरेंज और ग्रीन जोन की स्पष्ट पहचान करने को कहा गया है। राज्य चाहे तो भविष्य में कोरोना के केस आने की आशंका को देखते हुए किसी इलाके को आरेंज जोन में शामिल कर सकता है।

विभिन्न जोन में कंटेनमेंट का प्लान अलग-अलग विभिन्न जोन में वायरस से कंटेनमेंट का प्लान अलग-अलग होता है। रेड जोन और उसके चारो और बफर जोन तय करने का अधिकार भी स्थानीय प्रशासन के ऊपर छोड़ा गया है। लव अग्रवाल के अनुसार ग्रामीण इलाके में सामान्य तौर पर कोरोना के केस आने वाली जगह के चारो ओर तीन किलोमीटर के इलाके में कंटेनमेंट प्लान लागू किया जाता है। उसके चारो ओर के सात किलोमीटर के दायरे को बफर जोन के रूप में रखा जाता है। घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में इसे तय करने का मापदंड अलग होता है और स्थानीय अधिकारी जमीनी हकीकत के आधार पर इसे निर्धारित करते हैं।

रेड जोन वाले इलाके में घर-घर होगा सर्वे  जहां रेड जोन वाले इलाके में घर-घर सर्वे कर कोरोना के संदिग्ध मरीजों की जांच की जाती है और पूरे इलाके को पूरी तरह सील कर किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं दी जाती है। लेकिन बफर जोन में आर्थिक गतिविधियों पर रोक साथ जरूरी सेवाओं को चालू रखने की इजाजत दी जाती है। बफर जोन में सर्दी-खांसी, जुकाम और बुखार वाले मरीजों पर विशेष ध्यान रखा जाता है और उनका कोरोना टेस्ट किया जाता है।

ग्रीन जोन में भी किया जाएगा कोरोना टेस्ट  रेड और आरेंज जोन के अलावा सरकार ने ग्रीन जोन में भी कोरोना पर नजर रखने का फैसला किया है। ग्रीन जोन वाले इनफ्लुएंजा या सांस से संबंधित बीमारी से गंभीर रूप से ग्रसित मरीजों का कोरोना टेस्ट किया जाएगा। ऐसे मरीजों की पहचान कर उन्हें कोरोना अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को दी गई है।

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