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सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढावा देने को ‘सॉल ऑफ स्टील’ अल्पाइन चैलेंज का किया शुभारंभ

देहरादून। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढावा देने के लिए ‘सॉल ऑफ स्टील’ अल्पाइन चैलेंज का विधिवत शुभारंभ किया। चमोली जनपद के नीती गांव के लिए 460 किलोमीटर लंबी कार रैली ‘रोड़ टू द एंड’ को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिह एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को जसवंत ग्राउण्ड में आयोजित 7वां सशस्त्र सेना पूर्व सैनिक दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान उत्तराखंड राज्य के सैनिकों ने दुश्मन के खिलाफ मजबूती से खड़े होकर और अडिग भावना के साथ देश की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सशस्त्र बलों के जवानों के साहस और बलिदान के कारण, हमारे नागरिक सुरक्षित महसूस करते हैं और अपना सिर ऊंचा करके चलते हैं। “हमारे बहादुर सैनिकों ने दुनिया भर में भारत की छवि को एक शक्तिशाली और सम्मानित राष्ट्र के रूप में बदलने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। हमारे जवान हमारी एकता और अखंडता के रक्षक हैं। हम चैन से सोते हैं क्योंकि हमारे जवान सीमा पर रात दिन चैकस हैं।
केंद्रीय रक्षामंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों को प्रदान की जा रही पेंशन, चिकित्सा और अन्य सुविधाएं उनके द्वारा किए गए बलिदान और प्रतिबद्धता के प्रति देश के सम्मान का एक छोटा सा प्रतीक हैं। पूर्व सैनिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, केंद्रीय रक्षामंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए रक्षा पेंशन शिकायत निवारण पोर्टल का शुभारंभ किया गया है। कहा कि लोग पोर्टल के जरिए सशस्त्र सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष में योगदान कर सकते हैं। उन्होंने इसे पूर्व सैनिकों के कल्याणकारी प्रयासों से नागरिकों को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बताया। उन्होंने सभी भूतपूर्व सैनिकों और सशस्त्र सेना के सेवारत कर्मियों को उनके समर्पण और वीरता के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सैन्यधाम का रक्षामंत्री जी ने विधिवत् रूप से शिलान्यास किया था, जिस पर तेजी से कार्य चल रहा है। इस वर्ष दिसम्बर माह तक सैन्यधाम का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से ओतप्रोत वीर सैनिकों ने देश की आनबान और शान को हमेशा अक्षुण रखने का कार्य किया है। भारत की सेना हमेशा विश्व की शक्तिशाली सेनाओं में से एक रही है। हमारे देश के वीर सैनिकों ने आजादी के बाद हुए प्रत्येक संघर्ष में अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए दुश्मन के छक्के छुड़ाने का काम किया है। देवभूमि उत्तराखण्ड ने अपने वीर सपूत देश को दिए हैं, जिन्होंने अदम्य साहस विश्व को दिखाया है। शान्ति का उपदेश देने वाली भारत की पुण्यभूमि समय आने पर शौर्य एवं पराक्रम द्वारा दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब देने की क्षमता रखती है। आज सम्पूर्ण विश्व भारत की शक्ति एवं सामर्थ्य से परिचित है, जिसका परिणाम है कि कोई भी दुश्मन हमारी ओर उंगली उठाने का साहस नहीं करता है। आज सैनिक दुश्मनों की गोली का जवाब गोलों से दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी एवं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व एवं अथक प्रयासों से आज सैनिकों को सैन्य साजो की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। आज सेना को लगातार अच्छे साजो-सामान मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री एवं रक्षामंत्री लगातार सैनिकों का मनोबल बढाने का कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि सैन्य पुत्र होेने के नातेे राष्ट्र सेवा के प्रति वीर जवानों के समर्पण को नजदीक से देखा है। सैनिकों के लिए उनकी यूनिट ही उनका परिवार है। परिवार से अधिक समय वे इनके साथ बिताते हैं यही कारण है एक सैनिक का दूसरे सैनिक के साथ भाई-भाई जैसा नाता होता है। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि सेना के अधिकारियों का अपने अधीनस्थों के साथ प्रेमवत व्यवहार एवं सम्मान होता है, तथा उनका नाम आदर से लिया जाता है जो सभी के लिए अनुकरणीय है। इसके उपरान्त रक्षामंत्री, मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्य ने परिसर में उपस्थित पूर्व सैनिकोें के पास जाकर उनके मुलाकात की तथा उनके साथ जलपान किया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चैहान, मध्य कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी, टिहरी गढ़वाल के सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, उत्तर भारत क्षेत्र लेफ्टिनेंट जनरल जे पी मैथ्यू, उत्तराखंड सब एरिया, मेजर जनरल संजीव खत्री, उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष मेजर जनरल मोहन लाल असवाल (सेवानिवृत्त), सहित अन्य गणमान्य एवं पूर्व सैनिक एवं उनके परिजन व सैनिक शामिल थे।

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