गंगा के गंगत्व को बचाने के लिये एकजुटता जरूरीः स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। गंगा दशहरा के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में माँ गंगा का पूजन और हवन का दिव्य आयोजन किया गया। स्वामी जी ने प्रदेशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि माँ गंगा में इस समय जल स्तर काफी बढ़ा हुआ है, इसलिये गंगा में स्नान ध्यान से करें व अकेले न करें। आज गंगा दशहरा के पावन अवसर पर हम सभी एक समाज के रूप में संकल्प लें कि हम अपनी नदियों को प्रदूषण मुक्त करने में योगदान प्रदान करेंगे। अपने व्यवहार और सोच में बदलाव कर जीवन और जीविका देने वाली माँ गंगा और अन्य नदियों की पवित्रता और स्वच्छता को बनाये रखने हेतु सहयोग प्रदान करेंगे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि माँ गंगा भारत की पहचान है। गंगा के बिना हम अधूरे हैं। जिस प्रकार गंगा जी किसी से भी कोई भेदभाव नहीं करती है जो भी आये गंगा तट पर गंगा जी उसे अपना बना लेती हैं। माँ गंगा न केवल हमारे खेतों को सींचती हैं, बल्कि हमारे दिलों को भी आनन्दित करती हैं और जो मानते हैं उन्हें मुक्ति भी प्रदान करती हैं।
माँ गंगा ने हमें बहुत कुछ दिया है। 45 करोड़ से अधिक लोगों को जीविका दी है। गंगा जी के गंगत्व को बनाये रखने के लिये हमारी ग्रीन क्रिएटिविटी और ग्रीन रिस्पान्सबिलिटी बहुत जरूरी है। अब इसके लिये हमें अपनी जीवन शैली बदलना होगा। अब हमें ग्रीड कल्चर से ग्रीन कल्चर की ओर बढ़ना होगा, हमें ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर और नीड कल्चर से नये कल्चर को अपनाना होगा। यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो कल्चर को स्वीकार करना होगा। सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल बंद करना होगा। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को माँ गंगा के प्राकट्य दिवस ‘‘गंगा दशहरा’’ और ’’पिता दिवस (फादर्स डे)’’ की शुभकामनायें देते हुये कहा कि एक पिता अपने बच्चों के जीवन को एक ऐसा स्वरूप प्रदान करने की पूरा जीवन कोशिश करते हैं जिससे उनका जीवन आनन्दित हो जाये और खुशियों से भरपूर रहे। पिता अपने बच्चों का रियल हीरो होता है। पिता अपने बच्चों और परिवार को छांव में रखने के लिये खुद धूप में रहता है। भारत में तो हर दिन ही फादर्स डे है। नन्हें प्यारे बच्चों के लिये तो पापा ही सहारा होते हैं, बचपन में भी और पूरे जीवन में भी, बच्चा जब पहला कदम उठाता है तब से लेकर जिन्दगी में आने वाली हर समस्या का समाधान पिता के पास होता है। प्रत्येक परिवार में पिता और संतानों के बीच प्रेम और सौहार्द्र बना रहें।