टिहरी के समग्र विकास के लिए चयनित की गई छह जगह
टिहरी/देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से प्रभावित हुए पर्यटन सेंक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए पर्यटन विभाग प्रतिबद्ध है। इसके तहत टिहरी झील के समग्र विकास के लिए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर के निर्देश पर उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अधिकारी व कार्यदायी संस्था वैपकोस की टीम चार दिन चयनित जगहों का स्थलीय निरीक्षण करेगी। इस संबंध में मंगलवार को जिलाधिकारी टिहरी ईवा श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बैठक के दौरान टिहरी के छ स्थलों को चयनित किया गया। चयनित की गई जगहों में न्यू टिहरी, तिवाड़ गांव, कोटी कॉलोनी, मदन नेगी, डोबरा और वाटर क्लेस्टर शामिल हैं।
बैठक के दौरान जिलाधिकारी ईवा श्रीवास्तव ने टिहरी झील के समग्र विकास के लिए कार्यदायी संस्था को निर्देश देते हुए कहा कि टिहरी के चयनित स्थलों की कार्ययोजना तैयार कर शीघ्र ही क्रियान्वित करें। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ईवा श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि कोटी कॉलोनी के सामने स्थित पहाड़ी पर वेलकम टू टिहरी लेक का पहाड़ी शैली में निर्माण किया जाए। जिसमें रंग बिरंगी लाइटों से सजा कर पर्यटकों का स्वागत किया जा सके। साथ ही डीएम टिहरी ने सुझाव दिया कि प्रतापनगर के म्यूजियम को वर्ल्ड डेस्टिनेशन के रूप में तैयार कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।
उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक पर्यटन) कर्नल अश्विन पुंडीर ने कहा, ‘‘उत्तराखंड में टिहरी झील को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने और यहां पर्यटन को संचालित करने के लिए विभाग प्रतिबद्ध है। जिससे अपनी ऐतिहासिक संस्कृति, परम्परा और सभ्यता के कारण गढ़वाल क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाला टिहरी को पर्यटन की दृष्टि से विश्व मानचित्र पर पहचान मिल सके। बैठक में पर्यटन विभाग व संबंधित विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे।’’ उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद, निदेशक अवस्थापना ले.क. दीपक खण्डूड़ी ने बताया कि कार्यदायी संस्था वैपकोस को टिहरी के समग्र विकास के लिए चयनित किया गया है। संबंधित विभाग के अधिकारी व कार्यदायी संस्था की पांच सदस्य टीम छह चयनित जगहों का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद जिलाधिकारी के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। जिसके बाद जिलाधिकारी संयुक्त निरीक्षण कर डीपीआर तैयार करने के लिए निर्देशित करेंगे।