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कार्यशाला में वरिष्ठ वन अधिकारियों ने भाग लिया

देहरादून। कार्यशाला में देशभर से सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षकों और भारतीय वन सेवा के अन्य अधिकारियों सहित लगभग 40 वरिष्ठ वन अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला में देशभर से अनेक अधिकारी ऑनलाइन भी शामिल हुए। निदेशक, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी भारत ज्योति ने प्रतिभागियों का स्वागत किया। उद्घाटन सत्र के अवसर पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) के महानिदेशक अरुण सिंह रावत कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे। एस.पी. यादव, अपर महानिदेशक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा डॉ. रमेश चन्‍द्र पाण्‍डे, महानिरीक्षक, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने संशोधन अधिनियम के मुख्य प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने 1980 में प्रख्यापित वन संरक्षण अधिनियम की प्रक्रियाओं और कार्यविधियों में किए गए सरलीकरण को रेखांकित किया। आई.आर.ओ. देहरादून के पूर्व प्रभारी पंकज अग्रवाल ने अपने संबोधन में अधिनियम के व्‍यावहारिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों की प्रयोज्यता (एप्‍लीकेबिलिटी) में अस्पष्टता को दूर करने, निजी भूमि में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय वन नीति, 1988 में परिकल्पित लक्ष्यों को प्राप्त करने और गतिशील परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने के लिए पिछले 43 वर्षों के दौरान पारिस्थितिक, सामाजिक और पर्यावरणीय व्यवस्थाओं के तहत इस अधिनियम में और संशोधन करने की आवश्‍यकता महसूस की जा रही थी।

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