फर्रुखाबाद प्रकरण : रूस की घटना की तर्ज पर सिरफिरे ने रचा था षड्यंत्र
लखनऊ। फर्रुखाबाद में मासूमों को कैद करने वाले जिस सिरफिरे सुभाष बाथम को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था, उसके स्मार्ट फोन से वर्ष 2004 में रूस के बेसलान स्थित एक स्कूल में बच्चों को बंधक बनाए जाने की बहुचर्चित घटना का वीडियो मिला है।
आइजी कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल ने बताया कि सुभाष के मोबाइल से रूस के स्कूल के अलावा ईरान व अमेरिका में लोगों को बंधक बनाए जाने की कुछ अन्य घटनाओं के वीडियो भी मिले हैं। फोन की सर्च हिस्ट्री में बम बनाने की विधि वाले कई वीडियो देखने के प्रमाण भी मिले हैं। सुभाष ने घटना से दो-तीन पहले ही कमरे में एक टॉयलेट भी बनवाया था। इससे साफ है कि सिरफिरे ने रूप की घटना की तर्ज पर ही षड्यंत्र रचा था। उसके मकान से बरामद बम व गोलों से भी यही लग रहा है कि वह पुलिस को कई दिनों तक छकाने की तैयारी में था। आइजी ने दावा किया कि सुभाष की छत पर चढ़ने के बाद पुलिस ने दो टीमें बनाईं और फिर तय रणनीति के तहत 120 सेकेंड के भीतर बच्चों को मुक्त कराने के ऑपरेशन को सकुशल अंजाम दिया गया। लोकभवन में शनिवार को पत्रकारों ने बातचीत में आइजी ने बताया कि अब तक की छानबीन में सामने आया है कि सुभाष करीब दो माह से इस घटना की तैयारी में था। हत्या का आरोपित सुभाष करीब 10 साल तक जेल में रहा था। चार माह पहले भी चोरी के मामले में जेल गया था और डेढ़ माह पहले ही जमानत पर छूटकर आया था। आइजी का कहना है कि जेल में अपने साथी रहे बदमाशों की मदद से ही उसने असलहे, गोली व बड़ी मात्रा में गोला बारूद हासिल किया था। वह तार के जरिए बम बनाने में भी माहिर था।
छत पर बनी थीं दो टीमें आइजी के अनुसार मौके पर पहुंचकर वह अन्य अधिकारियों के साथ सुभाष के मकान की छत पर गए और भौगोलिक स्थिति का जायजा लिया। मकान के पिछले हिस्से में दरवाजा देख पहले दो-तीन पुलिसकर्मियों को नीचे उतारा गया। उन्होंने अंदाजा लगाया कि चार-पांच लोगों के एक-साथ धक्का देने पर दरवाजा टूट जाएगा। तब दूसरी टीम को मकान के सामने वाले दरवाजे पर तीन-चार ग्रामीणों को साथ लेकर दरवाजे पर पथराव करने व शोर मचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ग्रामीणों को इसलिए शामिल किया गया था, जिससे सुभाष को संदेह न हो। अगले दरवाजे पर पथराव के दौरान जब सुभाष ने फायरिंग की, उसी बीच पुलिस पिछला दरवाजा तोड़कर भीतर दाखिल हो गई थी। पुलिस का अनुमान था कि जब तक सुभाष दोबारा असलहा लोड करेगा, तब तक वे भीतर दाखिल हो जाएंगे।
सिपाही ने एके-47 से सीने में मारी थी गोली आइजी ने बताया कि सुभाष के घर का पिछला दरवाजा तोड़े जाने के बाद घटनाक्रम बेहद तेजी से आगे बढ़ा और करीब दो मिनट के ऑपरेशन में पुलिस ने बच्चों को मुक्त कराया। अगला दरवाजा तोड़े जाने पर पहले सुभाष की पत्नी बाहर निकली थी, जिसे ग्रामीणों ने घेर लिया था। पीछे से सुभाष भी भीतर घुसी पुलिस पर बम से हमला व फायङ्क्षरग करते हुए बाहर भागा लेकिन ग्रामीणों व पुलिस को देखकर तेजी से वापस भीतर आया। आइजी के अनुसार सुभाष ने वापस आकर तहखाने की ओर जाने का प्रयास किया, जहां एसओजी प्रभारी व एक सिपाही मौजूद था। सुभाष ने एसओजी प्रभारी पर गोली चलाई। तभी सिपाही नवनीत ने एके-47 से सुभाष पर गोली चलाई, जो उसके सीने में लगी और वह वहीं ढेर हो गया।
बच्चों के साथ घर को उड़ा देना चाहता था सिरफिरा फर्रुखाबाद की मोहम्मदाबाद कोतवाली इलाके के गांव करथिया के सिरफिरे सुभाष बाथम ने गुरुवार दोपहर 2:30 बजे अपनी एक साल की बेटी कुसुम की बर्थडे पार्टी के बहाने गांव के 26 बच्चे बुलाए और घर के 15 फीट लंबे-चौड़े और 10 फीट गहरे तहखाने में बंधक बना लिया था। मौसा के कत्ल में उम्र कैद की सजा पा चुके सुभाष के इस कृत्य में उसकी बीवी रूबी भी सहयोगी बनी। बच्चों को सकुशल बचाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद डीजीपी ओपी सिंह व अन्य से पल-पल अपडेट ले रहे थे। बच्चों को 10 घंटे तक बंधक बनाने वाले सिरफिरे सुभाष बाथम को ढेर करने के बाद तलाशी में उसके घर से बारूद, बम और असलहों का जखीरा मिला है। उसने बच्चों को छोड़ने के एवज में 20 करोड़ रुपये और हाईवे किनारे जमीन भी मांगे थे। नहीं देने पर पूरा घर उड़ा देने की धमकी तक दी थी। हालांकि, इसके पहले ही पुलिस ने गुरुवार देर रात मुठभेड़ में मार गिराया।
भीड़ के हत्थे चढ़ी बीवी, तड़के चार बजे हुई मौत दरवाजा तोड़कर घर में घुसी भीड़ जिस वक्त सुभाष पर टूट पड़ी तो बीवी रूबी ने बचाने की कोशिश की। इसके बाद दोनों को जमकर पीटा गया। पुलिस उसे एंबुलेंस से लोहिया अस्पताल ले गई। शुक्रवार तड़के चार बजे उसे यहां होश तो आया, लेकिन गंभीर हाल देखते हुए उसे सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी रेफर किया गया। रास्ते में उसकी मौत हो गई। कन्नौज स्थित रूबी की मायके में सिर्फ मां जैलश्री हैं। चार साल पहले ही उसकी सुभाष के साथ शादी हुई थी। बेटी की मौत की खबर के बाद भी जैलश्री देखने नहीं आईं।