राजस्थान: अलवर में गौ तस्करी के आरोप में शख्स की पीट-पीट कर हत्या, CM ने दिए जांच के आदेश
अलवर । राजस्थान के अलवर जिले से लिंचिंग की एक और घटना सामने आई है। 28 वर्षीय युवक की कुछ लोगों के समूह ने गौ तस्करी के संदेह में पीट-पीट कर मार डाला। घटना राजस्थान के अलवर जिले की है। पुलिस अधिकारी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया। हरियाणा के कोलगांव का निवासी अकबर खान और उसका एक अन्य साथी अपने साथ दो गाय शुक्रवार की रात अलवर दिले में लालवंडी गांव के पास के जंगलों से लेकर जा रहे थे। कुछ लोगों की नजर उन पर पड़ी, जिसके बाद अकबर को उन्होंने पीट-पीट कर मार डाला। इसी बीच मृतक के पिता सुलेमान का बयान आया है। सुलेमान ने कहा है कि उन्हें न्याय चाहिए। दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
पुलिस का बयान
रामगढ़ थाने के एसएचओ सुभाष शर्मा ने बताया। पुलिस ने बताया कि गौ तस्करी की पुष्टि नहीं की जा सकी है। उन्होंने बताया कि दूसरा आदमी भागकर अपनी जान बचाने में कामयाब रहा। अकबर खान को घटना के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बाद में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने बताया कि आईपीसी की धारा 302 के तहत कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। जयपुर के आईजी ने कहा कि, गायों को गौशाला भेज दिया गया है। घटनास्थल से दो संदिग्ध लोगों को थाने लाया गया है जिसे बाद में मामले में शामिल होने की सूचना मिलने पर गिरफ्तार कर लिया गया। दोषियों को पकड़ने के लिए जांच जारी है। शव का पोस्टमार्टम कर लिया गया गया है।
वसुंधरा राजे का बयान
मामले पर वसुंधरा राजे का भी बयान आ गया है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि अलवर जिले में लिंचिंग की ये घटना घोर निंदनाय है। घटना के पीछे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अलवर में गो परिवहन से सम्बंधित वारदात में हुई नृशंस हत्या की मैं कड़े शब्दों में निंदा करती हूँ। पुलिस मामला दर्ज कर दो संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ कर रही है। मैंने गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया को जल्द से जल्द मामले की छानबीन कर दोषियों को कड़ी सज़ा दिलाने के निर्देश दिए हैं।
राजस्थान गृह मंत्री का बयान
राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा, हम दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। ऐसा कोई कानून नहीं है कि हमने मृत्यूदंड का कानून बनाया है तो कोई कल से मृत्युदंड का भागी नहीं बनेगा, कोई हत्या नहीं होगी। लेकिन हम कानून को और सख्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ।
केंद्रीय मंत्री का बयान
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि, हम मॉब लिचिंग की निंदा करते हैं लेकिन यह कोई पहली घटना नहीं है। इसे आप इतिहास में भी देख सकते हैं। क्यों ऐसा होता है? किसे इसको खत्म करना चाहिए? 1984 में सिखों के साथ जो हुआ वह देश के इतिहास में मॉब लिचिंग की सबसे बड़ी घटना है। मोदीजी जितना लोकप्रिय होंगे उतनी ही इस तरह की घटनाएं होंगी। बिहार चुनाव में अवॉर्ड वापसी, तो उत्तर प्रदेश में मॉब लिचिंग। 2019 चुनाव में कुछ और होगा। मोदीजी ने योजनाएं दीं और उसका असर दिख रहा है ये उसकी एक प्रतिक्रिया है। अलवर के एएसपी अनिल बेनीवाल ने इस पूरे मामले पर कहा, ‘यह स्पष्ट नहीं है कि वह गौ तस्करी कर रहा था। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, हम दोषियों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।’
आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों से भीड़ के लोगों द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के कई मामले सामने आए हैं। पिछले दिनों बच्चा चोरी का आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र, गुजरात समेत देश के कई हिस्सों में भीड़तंत्र के द्वारा लोगों को पीट-पीट कर हत्या कर देने का मामला सामने आया था। मामला हद से बढ़ जाने पर अंत में सुप्रीम कोर्ट को आगे आना पड़ा था। शीर्ष अदालत ने मॉब लिंचिंग पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता है। देश में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
कल लोकसभा में भी गृह मंत्री ने कहा था-
मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर कल लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपना बयान दिया था। राजनाथ सिंह ने कहा था कि लिंचिंग की घटनाएं पहले भी होती रही हैं। देश में मॉब लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना 1984 में हुई थी। इन घटनाओं पर कार्रवाई करने का काम राज्य सरकारों का है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि देश में कई जगह लिंचिंग की घटनाएं होती रही हैं। जिसमें कई लोगों की जानें गई हैं। इस दौरान मारे वाले लोगों संख्या किसी भी सरकार के लिए चिंता का विषय है।
SC का सख्त आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकारों को सख्त आदेश दिया कि वो संविधान के मुताबिक काम करें। साथ ही राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने से संबंधित गाइडलाइंस को चार हफ्ते में लागू करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इसको रोकने के लिए विधायिका कानून बनाए। बता दें कि गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ की हिंसा पर रोक लगाने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी।