पाकिस्तान अगर युद्ध छेड़ता है तो उसे जरूरी चीजें आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा जुटाने के पड़ सकते हैं लाले
नई दिल्ली। आतंकवाद को पनाह देने वाला पाकिस्तान अगर युद्ध छेड़ता है तो उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। विदेशी सहायता से गुजारा कर रहा पाकिस्तान कंगाल हो जाएगा। उसे जरूरी चीजें आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा जुटाने के लाले पड़ सकते हैं। दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था अपने मजबूत आधार स्तंभ के सहारे किसी भी स्थिति का सामना कर सकती है। हकीकत यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था हर मामले में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था से कई गुना बेहतर है। सीआइए फैक्टबुक के मुताबिक पीपीपी आधार पर 2017 में भारत का जीडीपी 9.47 लाख करोड़ डालर का है जबकि पाकिस्तान का सिर्फ एक लाख करोड़ डालर का है। इस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार पाकिस्तान के मुकाबले 9 गुना ज्यादा है। इसके अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर भी पाकिस्तान के मुकाबले काफी अधिक है। वर्ष 2017 में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मात्र छह प्रतिशत थी। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में निवेश की दर भी मात्र 15 प्रतिशत के आस-पास है जबकि भारत में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत के करीब है। इसी तरह भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डालर से अधिक है जबकि पाकिस्तान के पास महज 18 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार है। इस तरह भारत के पास पड़ोसी देश के मुकाबले 20 गुना ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है। खास बात यह है कि पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा अर्जित करने का कोई टिकाऊ जरिया भी नहीं है। पाकिस्तान पूरे साल में महज 32 अरब डालर का निर्यात करता है जबकि भारत का एक साल का निर्यात 300 अरब डालर से अधिक है। इस तरह भारत का निर्यात भी पाकिस्तान के मुकाबले लगभग दस गुना है। भारत का प्रति व्यक्ति जीडीपी 7,200 डालर है जबकि पाकिस्तान का मात्र 5,400 डालर है। इस मामले में भी भारत पाकिस्तान पर हावी है। शिक्षा और स्वास्य जैसी सामाजिक सुविधाओं के मामले में भी भारत का व्यय पाकिस्तान के मुकाबले काफी अधिक है। मसलन, भारत स्वास्थ्य पर जीडीपी का 4.7 प्रतिशत है जबकि पाकिस्तान अपने जीडीपी का मात्र 2.6 प्रतिशत ही स्वास्थ्य व्यवस्था पर खर्च करता है। पाकिस्तान अपना गुजारा विदेशी सहायता से करता है। हालांकि हाल के वर्षो में अमेरिका ने पाकिस्तान को मदद में कटौती की है। जानकारों का मानना है कि जिस तरह भारत ने पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग करने का अभियान छेड़ा है, उससे आने वाले समय में भी आर्थिक तौर पर उसके लिए मुसीबतें बढ़ सकती हैं।पाकिस्तान का सबसे अधिक निर्यात अमेरिका को होता है जबकि सबसे ज्यादा आयात वह चीन से करता है। ऐसे में भारत के साथ युद्ध छिड़ने की स्थिति में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है।