जीआईसी सुद्धोवाला में आयोजित किया गया विधिक जागरूकता शिविर
देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल के निर्देशानुसार आज सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा सरकार द्वारा जारी कोविड-19 गाइडलाईन का पालन करते हुए राजकीय इन्टर कालेज सुधोवाला में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया, शिविर में सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा बनायी गयी नालसा (असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये विधिक सेवायें) योजना के तहत जानकारी दी गयी। इसके अतिरिक्त नालसा द्वारा बनायी गयी सभी स्कीमों के तहत भी जानकारी दी गयी। शिविर में उपस्थित विद्यार्थियों को सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा प्राधिकरण सम्बंधी विभिन्न कानूनी विषयांे पर व्यक्तियों को जानकारी दी जैसेः महिला सुरक्षा, बाल सुरक्षा को लेकर पोक्सों एक्ट 2012 के अंतर्गत यौन अपराध, यौन छेड़छाड़, के अपराधों के प्रतिषेध कृत कानून की विस्तार से जानकारी दी।
इसके अतिरिक्त बाल अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार, घरेलू हिंसा संरक्षण, वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार से भी अवगत कराया। इसके अतिरिक्त उपस्थित विद्यार्थियों को अपने-अपने क्षेत्र में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जाने वाली विधिक सहायता हेतु भी प्रचार-प्रसार किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। कोविड-19 महामारी के चलते सरकार द्वारा जारी गाईडलाईन जैसेः मुह पर मास्क लगाना/सामाजिक दूरी का पालन करने एवं जरूरत पड़ने पर ही घर से निकलना आदि के बारे अवगत कराया गया। सचिव द्वारा उत्तराखण्ड अधिनियम, 2018 में नागरिकों को क्या-क्या अधिकार दिये गये है की भी जानकारी दी गयी, जिसमें अवगत कराया गया कि पीड़ित व्यक्ति को पुलिस द्वारा उत्पीड़न किये जाने पर वह राज्य/जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरणों मेें सम्बंधित पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध शिकायत दर्ज करा सकते है। उक्त शिविर में स्थायी लोक अदालत हेतु भी प्रचार-प्रसार किया गया।
सचिव द्वारा उपस्थित व्यक्तियों को यह भी अवगत कराया कि समाज के कमजोर, निर्धन एवं असहाय लोगों को न्याय से वंचित न होना पड़ें इसके लिये विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की नियमावली का गठन किया गया । इस अधिनियम के अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया कि समाज के सभी ऐसे वर्ग जो निशुल्क कानूनी सहायता एवं परामर्श प्राप्त करने के वास्तव में हकदार है उन्हें आर्थिक समस्या का सामना न करना पड़े एवं वह अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकें एवं समय पर उन्हें न्याय प्राप्त हो सकें। इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राज्य स्तर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों एवं तहसील स्तर पर तहसील विधिक सेवा समिति का गठन किया गया। उक्त अधिनियम के अन्तर्गत राज्य प्राधिकरण या उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला प्राधिकरण एवं ताल्लुक प्राधिकरण में प्रत्येक व्यक्ति जिनका कोई मामला विचाराधीन है या दायर करना है उन मामलांे में निम्नलिखित पात्र व्यक्तियों को कानूनी सेवाएं देने के मानदण्ड निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि निःशुल्क विधिक सहायता के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सभी नागरिक, संविधान के अनुच्छेद-23 में वर्णित मानव दुर्व्यव्हार/बेगार के शिकार व्यक्ति, सभी महिलाएं एवं बच्चे, सभी विकलांग एंव मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति, बहुविनाश, जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा एंव भूकम्प या औघोगिक क्षेत्र में संकट जैसे देवीय आपदा से पीड़ित व्यक्ति, औघोगिक क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी मजदूर, जेल/कारागार/संरक्षण गृह/किशोर गृह एवं मनोचिकित्सक अस्पताल या परिचर्या गृह मंे निरूद्ध सभी व्यक्ति, भूतपूर्व सैनिक, किन्नर समुदाय के व्यक्ति, वरिष्ठ नागरिक,एड्स से पीड़ित व्यक्ति एवं सभी ऐसे व्यक्ति जिनकी समस्त स्रोतांे से वार्षिक आय 03 लाख रू0 तक हो।