Kumbh Mela 2019: सिर्फ इंसान ही नहीं, यहां पशु-पक्षी भी बने हैं श्रद्धालु , जिनके नाम लाखों-करोड़ों की संपत्ति भी है
कुंभ नगर। कुंभ वास्तव में अलौकिक है। यहां पावन नदियों की त्रिवेणी ही नहीं, आस्था-अध्यात्म और आधुनिकता के साथ ही मानवता का भी संगम हो रहा है। सिर्फ इंसान ही नहीं, यहां पशु-पक्षी भी श्रद्धालु बने हैं। यहां संत-महात्माओं के पास ऐसे श्वान हैं, जिनके नाम लाखों-करोड़ों की संपत्ति भी है।
पूर्णांहुति के साथ भंडारे का पुण्य प्राप्त करते हैं यह सामान्य श्वान (कुत्ते) नहीं हैं, बल्कि बाबाओं के साथ यज्ञ की पूर्णांहुति में भाग लेते हैं। साथ ही शाही स्नान और भंडारे का पुण्य भी प्राप्त करते हैं। संतों के साथ रहते, उठते-बैठते हैं। यहां तक कि उनके कर्मकांडों में भी हिस्सा लेते हैं। आलम यह है कि बाबा और ये श्वान एक-दूसरे को एक पल भी अकेला नहीं छोड़ते।
संन्यासियों द्वारा श्वान पालने की प्रथा पुरानी यहां अखाड़ों के संत बताते हैं कि सनातन से ही संन्यासियों द्वारा श्वान पालने की प्रथा रही है। भगवान दत्तात्रेय ने कहा है कि विरक्त जीवन के लिए भाव चाहिए। इसीलिए दत्तात्रेय ने अपने 24 गुरुओं में श्वान को भी शामिल किया। तर्क दिया कि यह एक ऐसा जीव है जो मान-अपमान रहित रहता है। उसे कोई प्रेम से ग्रहण कर लेता है और कोई उसे दो डंडे मारता है तो वहां से हट जाता है। संतों के मुताबिक दत्तात्रेय को जिससे शिक्षा मिली उसे आदर्श माना गया और आदर दिया। इसमें श्वान के साथ अजगर भी शामिल हैं। इसीलिए संन्यास जीवन में आए छोटे-बड़े ज्यादातर संत श्वान को साथ रखते हैं।
ओमगिरि महाराज ने दो श्वान पाल रखे हैं पंजाब से आए जूना अखाड़े के ओमगिरि महाराज ने दो श्वान पाल रखे हैं। गुजरात से आए रामराजपुरी भी श्वान पाले हैं। इस अखाड़े के दो दर्जन से ज्यादा संतों के पास श्वान हैं। अर्जुनपुरी और तिरुपति स्वामी जैसे बाबा भी भैरव के पुजारी हैं। चैतन्यपुरी ने तो अपने लेब्राडोर का नाम ही भैरव रख दिया है।
टायसन के नाम आश्रम की जमीन तो जैकी का है आधार कार्ड गुजरात के कच्छ से आए स्वामी द्विगेंद्र नाथ महाराज के पास टायसन नाम के लेब्राडोर के नाम पर आश्रम की 255 बीघे जमीन भी है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज ने बताया कि कई श्वानों के नाम पर टाटा सफारी, टोयोटा और इंडीवर जैसी लग्जरी गाडिय़ां भी हैं। यह गाडिय़ां उन्हीं के लिए खरीदी भी गई हैं। अर्जुनपुरी ने एक बैंक खाता राघव नामक श्वान के नाम कर दिया है तो केदारनाथ से आए नागा संन्यासी प्रेमगिरि ने अपने श्वान जैकी का आधार कार्ड भी बनवा लिया है। संतों के इन श्वान के ठाठ मेले में आए तमाम स्नानाॢथयों के लिए कौतूहल हैं।
खाते हैं काजू-बादाम, सोते हैं डबल बेड पर संतों के साथ रहने वाले श्वान खाने-पीने के शौकीन हैं। उनके रहन-सहन के ठाठ देखते बनते हैं। मिनरल वाटर पीते हैं तो काजू-बादाम खाते हैं। सुबह बेड टी भी उन्हें चाहिए। नाश्ते में क्रीम बिस्कुट, हलवा और बटर-स्लाइस लेते हैं। यही नहीं डबल बेड पर वे सोते हैं। इंदौर से आए केदारपुरी का श्वान शंकी तो उनके साथ व्रत भी रख लेता है। वह दिन भर फलाहार पर ही रहता है।