Uttarakhandजन संवाद
क्या किसी जनप्रतिनिधि द्वारा कानून का उल्लंघन क्षम्य है?
अक्सर देखने मे आता है कि हमारे विधायक, सांसद और महत्वपूर्ण पदों पर आसीन राजनीतिज्ञ समय समय पर कानून का उल्लंघन कर लोकतंत्र का चेहरा शर्मसार करते रहते हैं। जनता के सामने बेलगाम होकर अपनी सत्ता लोलुपता में आचरण की तमाम सीमाएं लांघ जाते है। ये प्रतिनिधि हमारे द्वारा चुने जाते है यानी हमारा प्रतिनिधित्व करते हुए हमारा ही चेहरा होते है औऱ दुनिया के सामने देश का चेहरा समझे जाते हैं। दूसरे शब्दों में इनका व्यवहार देश की जनता का व्यवहार और मानसिकता समझी जाती है। हम लोग इन्हें संसद या विधान सभा में हमारा प्रतिनिधितव करने के लिए भेजते हैं लेकिन ये लोग कानून के रक्षक होते हुए भी जानबूझ कर कानून का उल्लंघन करते है। इससे न केवल देश की छवि खराब होती है बल्कि बड़ा आर्थिक नुकसान भी होता है।
अब हाल ही में राहुल गांधी द्वारा संसद तक ट्रेक्टर चलाने और प्रदर्शन करने को ले लीजिये और सोचिये।
1 ट्रैक्टर नया था जिसका पंजीकरण भी नही हुआ था। नियमानुसार इसे सड़क पर नही चलाया जा सकता।
2 ट्रेक्टर पर केवल एक सवारी यानी केवल ड्राइवर को बैठने की अनुमति है। इसके अलावा अन्य सवारी बैठना अपराध है।
3 ट्रेक्टर को प्रतिबंधित क्षेत्र में चलाना अपराध है।
4 ट्रैक्टर को केवल कृषि कार्य के लिये अथवा आंतरिक परिवहन के लिये पंजीकृत किया जाता है यात्री वहां के लिए नही।
5 किसी भी वाहन को सड़क पर चलते समय ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस, वहां का पंजीकरण पत्र, बीमा और पॉल्युशन सर्टिफिकेट होना जरूरी है।
मेरा मानना है कि राहुल गांधी उपरोक्त सभी मामलों में आरोपित हो सकते हैं। देश के मुख्य जनप्रतिनिधि होने के नाते उनका यह अपराध और भी संगीन हो जाता है। इसके अलावा उक्त समय भीड़ में यदि कोई दुर्घटना हो जाती तो उसके लिये भी राहुल घोर अपराधी ठहराए जाते। क्योकि कानून सबके लिये समान है अतः राजनीतिक बातों और उद्देसयो को छोड़कर भी राहुल गांधी कानून के अपराधी है। अतः न्याय की सर्वोच्चता को स्थापित रखते हुए उनके खिलाफ मोटर अधिनियम मे पुलिस द्वारा कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिये जिससे और जनप्रतिनिधियों को भी सही संदेश दिया जस सके।
लेखकः- एल0एम0 शर्मा