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‘कसम खुदा की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे’के नारे मुस्लिम धर्मगुरुओं को भी राम मंदिर पर रजामंद करने का प्रयास होगा

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से इतर राम मंदिर निर्माण को लेकर अलग-अलग संगठनों के प्रयासों के बीच मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने मंदिर पर सहमति का नया अभियान शुरू किया है। ‘कसम खुदा की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे।’ के नारे वाले इस अभियान में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ आम मुस्लिम को भी राम मंदिर पर रजामंद करने का प्रयास होगा। इस अभियान का आगाज शनिवार को दिल्ली के नेहरू मेमोरियल से हुआ जो 30 नवंबर तक पूरे देश में चलेगा। हर जिले में छोटे-छोटे कार्यक्रम कर मुस्लिम समुदाय के लोगों को राम मंदिर पर कदम आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसमें कुरान व हदीस के तथ्यों के साथ मोहम्मद रसूल के भारत को लेकर विचारों को आगे रखा जाएगा। लोगों को राम मंदिर को लेकर हिंदुओं के लगाव के अलावा उनकी उदारता से भी अवगत कराया जाएगा। जैसे कि अयोध्या में 24 मस्जिद और तीन मजार अभी भी हैं। ऐसे में हिंदू भाइयों की भावनाओं को समझना होगा। इसके बाद 16 दिसंबर को दिल्ली में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें पांच हजार से अधिक लोगों के उपस्थित होने की संभावना है। बड़ी संख्या में हिंदू-मुस्लिम धर्मगुरु भी शामिल होंगे। इसमें मंदिर निर्माण पर सहमति बनाई जाएगी। हालांकि, अभी इसके लिए जगह का निर्धारण नहीं हुआ है। वैसे, नौ दिसंबर को ही दिल्ली के रामलीला मैदान में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा राम मंदिर को लेकर धर्मसभा का आयोजन किया गया है, जिसमें 50 हजार से अधिक लोगों के जुटने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर मामले पर सुनवाई जनवरी तक टाले जाने के बाद विहिप द्वारा केंद्र सरकार पर कानून के रास्ते मंदिर निर्माण का दबाव बनाया जा रहा है। वहीं, संघ के वरिष्ठ प्रचारक व एमआरएम के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने यह मसला केंद्र के ऊपर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी पहलुओं को देख रही है। अपने विवेकानुसार फैसला लेगी। हालांकि, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामला टाले जाने में कांग्रेस पार्टी की साजिश का आरोप लगाया है।

 ‘अल्पसंख्यक’ शब्द के खिलाफ भी बड़ा अभियान
‘अल्पसंख्यक’ शब्द को भेदभाव व विकास की राह में रोड़ा बताते हुए एमआरएम ने इस शब्द को हटाने की मांग को लेकर आंदोलन चलाने की घोषणा की है। एमआरएम के अध्यक्ष अफजाल अहमद ने कहा कि यह शब्द गुलामी का प्रतीक है, जो कांग्रेस पार्टी ने बांटो और राज करो की नीति के तहत मुसलमानों पर थोपा है।

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