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*आरोग्य और धन- समृधि के लिए वस्तु- शास्त्र के उपाय

देहरादून। जब भी कोई इंसान घर बनाने की सोचता है तो सबसे पहले वास्तु का ख्याल आता है। हर इंसान अपने घर को पूरी तरीके से वास्तु दोष से दूर रखना चाहता है, जिससे कि घर में सुख शांति बनी रहे।
वास्तु शास्त्र भारत का अत्यंत प्राचीन शास्त्र है और वैदिक काल में तो इसे स्थापत्य वेद की संज्ञा भी दी गई है। चाहे कई लोग इस शास्त्र को लेकर संदेह व्यक्त करते रहें लेकिन तथ्यों के आधार पर हम आपको यह बताना चाहेंगे कि समय-समय पर विभिन्न जगह पर की गई खुदाई में पुरातत्ववेताओं को जो प्राचीन बस्तियों के खंडहर मिले हैं या भग्नावशेष मिले हैं, वे इस बात की गवाही देते हैं कि प्राचीन समय में मंदिर बस्तियों एवं नगरों का निर्माण वास्तु शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार ही होता था और यही वजह है कि तब लोग अपेक्षाकृत अधिक सुखी थे।उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं। *वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं। आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है। इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है।* मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा गया है।
जैसे आरोग्य शास्त्र के नियमों का विधिवत पालन करके मनुष्य सदैव स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है, उसी तरह वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार हम अपना भवन निर्माण करवाकर या फिर वास्तु शास्त्र के उपाय अपनाते हुए अपने जीवन में समृद्धि और सुख हासिल कर सकते हैं। नकारात्मक शक्तियों से अपने घर और अपनी मन:स्थिति को बचा सकते हैं।
जिस तरह ज्योतिष में नौ ग्रहों की महत्ता है और हर ग्रह हमारे जीवन पर असर करता है, हमें अच्छे व बुरे परिणाम प्रदान करता है, हमारे लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलता है, उसी तरह आपको वास्तु शास्त्र के  9 ऐसे उपाय बताऊंगा, जिन्हें आजमाकर आप तरक्की और समृद्धि से स्वयं साक्षात्कार कर सकते हैं। अपने जीवन को और खुशगवार बना सकते हैं। अपने भीतर नई ऊर्जा भर सकते हैं। ये उपाय बेहद आसान और बेहद कारगर भी हैं। इन उपायों से सकारात्मक उर्जा भी बढ़ेगी।
 1.प्रथम उपाय — स्वास्तिक चिन्ह का। हमारी भारतीय संस्कृति में स्वास्तिक का विशेष महत्व है। हमारे पूर्वज घर के मेन गेट के ऊपर सिंदूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाते थे। इससे घर में सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती थी । वास्तु शास्त्र के अनुसार स्वास्तिक 9 अंगुल लंबा और 9 मीटर चौड़ा होना चाहिए। मेन गेट के ऊपर सिंदूर से यह चिन्ह बनाए जाने पर रोग व शोक में यानी दुख में कमी आती है। चिंताओं का निवारण होने लगता है।
2.अगर आप घर के सदस्यों की तरक्की चाहते हैं तो घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए मेन गेट पर एक तरफ केले का वृक्ष और दूसरी तरफ तुलसी का पौधा गमले में लगा दें। घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होने लगेगा।
3.आपने अगर कोई प्लाट खरीद रखा है और मकान बनाने का योग नहीं बन रहा या मकान बनाने के लिए पैसों का इंतजाम नहीं हो रहा तो पुष्य नक्षत्र में उस खाली प्लाट में अनार का पौधा लगा दें। मकान बनने का योग बन जाएगा।
4. आपके घर में वास्तु दोष है तो उस दोष को दूर करने के लिए कुछ तोड़फोड़ करने की जरूरत नहीं है। आपको सिर्फ इतना करना है कि मकान की छत पर एक बड़ा गोल शीशा यानि आईना इस तरह से लगाएं कि मकान की संपूर्ण छाया उसमें दिखाई देती रहे। हमारी वास्तु शास्त्र में आईने को उत्प्रेरक बताया गया है, जिसके द्वारा भवन में तरंगित ऊर्जा का सुखद एहसास होता है।
5. भूलकर भी कभी घर में टूटे बर्तन या टूटी खाट का प्रयोग नहीं करना चाहिए और न ही घर में टूटे बर्तन व टूटी खाट रखनी चाहिए। इससे फायदा तो होता नहीं, उल्टा धन हानि के योग बनते हैं।
6.हमारे घर में सबसे सात्विक जगह होती है रसोईघर। घर की सुख-समृद्धि रसोईघर से झलकती है। अगर रसोईघर गलत स्थान पर है तो अग्नि कोण में बल्ब लगा दें और हर रोज ध्यान से सुबह-शाम उस बल्ब को जरूर जलाकर रखें। इससे वास्तु दोष भी दूर होगा और घर में सुख-समृद्धि का वास भी होगा।
7.वास्तु शास्त्र में यह आजमाया हुआ नुस्खा जो थोड़ा अजीब है और  यह कोई टोना-टोटका नहीं है। आपको अगर यह लगता है कि आपके घर पर किसी की बुरी नजर लग गई है और नकारात्मक ऊर्जा घर में आ रही है। आपने घर के द्वार दोष और वेध दोष को दूर करने के लिए शंख या सीप मौली में बांधकर दरवाजे पर लटकानी है। बस इतना सा उपाय है और आपका घर सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर हो जाएगा।
8.अगर आपने घर में पूजा स्थल बना रखा है तो वहां शुद्ध देसी घी का दीपक हर रोज जलाएं। अगर घर में शंख भी रखा है तो उसकी ध्वनि तीन बार सुबह-शाम नियमित रूप से करें। घर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाएगी।
9.आपने अगर घर के देवालय में देवी-देवताओं पर फूलों के हार चढ़ा रखे हैं , तो हर दूसरे दिन पुराने हार हटाकर, नए हार भगवान को अर्पित करने चाहिए।
विशेष हरि इच्छा । जय विश्वनाथ।
*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*
*असी.प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी*
*राष्ट्रीय सेवा योजना*
( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- 1.अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी,*
*2. भास्कर समिति,भोजपुर ,आरा*
*3.अखंड शाकद्वीपीय*
*4.चाणक्य राजनीति मंच ,वाराणसी*
*5.शाकद्वीपीय परिवार ,सासाराम*
*6. शाकद्वीपीय  ब्राह्मण समाज,जोधपुर*
*7.अखंड शाकद्वीपीय एवं*
*8. उत्तरप्रदेशअध्यक्ष – वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

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