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कनाडा की प्रेमिका जसविंदर कौर उर्फ जस्सी एवम् जगराओं का प्रेमी सुखविंदर सिंह उर्फ मिट्ठूके प्यार की दर्द भरी दास्तां

लुधियाना । यह फिल्मी सी कहानी नहीं है बल्कि प्रेम पर दरिंदगी की ऐसी दास्तां है जिसे पर वाकई फिल्माया जा चुका है। कनाडा की प्रेमिका जसविंदर कौर उर्फ जस्सी के हत्यारों को पकड़वाने के लिए जिस तरह लुधियाना के जगराओं का प्रेमी मिट्ठू जूझता रहा, वह 19 साल का सफर उसके लिए कांटों भरा रहा है। दोनों में प्यार हुआ, विवाह हुआ और फिर जानलेवा हमले के बाद आरोपित फरार हो गए। तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा और दो आरोपितों को कनाडा से भारत डिपोर्ट किए जाने के बाद मिट्ठू के जख्मों पर कुछ मरहम लगा है पर वह उस दिन के इंतजार में है जब गुनाहगारों को फांसी मिलेगी। जस्सी- मिट्ठू की इस कहानी पर नेशनल ज्योग्राफिक चैनल डाक्यूमेंटरी बना चुका है।  यही नहीं, जस्सी के कत्ल पर कनाडा के लोगों ने एक वेबसाइट  ‘जस्टिस फार जस्सी-मिट्ठू’ बनाई, जिस पर विश्वभर से प्रतिक्रियाएं आईं। कनाडा के एक पत्रकार ने केस के दस्तावेजों पर तीन फिल्में बनाईं। लोगों की सहानुभूति व समर्थन के साथ मिट्ठू का संघर्ष अब रंग लाया है। सुखविंदर सिंह उर्फ मिट्ठू का कहना है कि इस दौरान उसे कई तरह के लालच और धमकियां मिलीं, लेकिन वह पीछे नहीं हटा। अब जस्सी की मां और मामा को पंजाब पुलिस द्वारा कनाडा से लाए जाने पर मिट्ठू का कहना है कि वह पिछले 19 साल से पीछे लगा हुआ है। कनाडा के एक बड़े घराने की बेटी जस्सी वर्ष 1995 में जगराओं के पास गांव काउंके कला में घूमने आई थी। तब उसकी उम्र मात्र 16 साल थी। वह अक्सर काउंके कलां से जगराओं आती थी और मिट्ठू के ऑटो में ही सफर करती थी। इस दौरान दोनों में प्यार हो गया। उसके बाद वह वापस कनाडा लौट गई, लेकिन मिट्ठू से प्यार कम नहीं हुआ। वह रोजाना फोन पर बातें करते थे। चार साल बाद 1999 में जस्सी वापस जगराओं आई और उसने गुप्त रूप से 15 मार्च, 1999 को मिट्ठू के साथ कोर्ट मैरिज कर ली। शादी के बाद वह वापस कनाडा लौट गई। जस्सी के कनाडा लौटने के बाद उनकी प्रेम कहानी परिवार को पता चल गई। पहले तो परिवार वालों ने जस्सी को समझाया, लेकिन वह नहीं मानी। उसके बाद परिवार वालों ने उसे नौकरी से हटाकर घर में ही ‘कैद’ कर दिया। परिवार वालों ने उस समय मिट्ठू पर उनकी बेटी के भारत प्रवास के दौरान अगवा करने का पर्चा भी दर्ज करवाया था। हालांकि जस्सी को शक था और उसने जगराओं पुलिस को फैक्स से सूचना दी थी कि उसके और मिट्ठू के साथ अनहोनी हो सकती है। जस्सी के न मानने पर परिवार वालों ने उसे मिट्ठू के साथ शादी का झांसा दिया और काउंके कलां ले आए। आठ जून 2000 को दोनों जब बरनाला के करीब गांव नारीके से गुजरने वाली नहर के पास थे तो दोनों पर हमला हुआ। खून से लथपथ दोनों को हमलावर मृत समझ भाग गए। जस्सी की मौत हो गई और मिट्ठू एक माह तक कोमा में रहा। केस चलता रहा और जस्सी की मां मलकीत कौर और मामा सुरजीत सिंह, जो दोनों आरोपित थे, कनाडा चले गए। इस केस के तीन अन्य आरोपित इंस्पेक्टर जोगिंदर सिंह, अनिल कुमार और अश्वनी कुमार को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। इसी बीच, मिट्ठू पर जस्सी के परिजनों ने 2004 में रेप का केस दर्ज करवा दिया। हालांकि 2008 में मिट्ठू को अदालत ने बेकसूर करार दिया।तब से लेकर मिट्ठू व पुलिस का संघर्ष जस्सी की मां व मामा को कनाडा से भारत लाना था। अब जाकर उन्हें सफलता मिली है तो मिट्ठू का कहना है कि जस्सी की रूह को शांति तभी मिलेगी जब इन दोनों को फांसी हो। अपने पर हुए जुल्म और केस के दौरान पड़ते रहे दबावों का दर्द शायद मिट्ठू तभी भूल सकेगा। इस बीच, हत्याकांड में शामिल जस्सी की मां मलकीत कौर व मामा सुरजीत सिंह बदेशां को मालेरकोटला के सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में पेश किया गया। जहां से उन्हें चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। दोनों आरोपितों को कनाडा सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत डिपोर्ट करने के आदेश दिए गए थे। जिसके बाद कनाडा सरकार ने दोनों को प्रत्यर्पण संधि के तहत डिपोर्ट करके आइसीएमपी कनाडियन पुलिस की टीम के जरिए दिल्ली भेजा। वहां एरयपोर्ट पर पंजाब की संगरूर पुलिस की पांच सदस्यों की टीम ने दोनों को हिरासत में लिया। दोनों को दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में पेश कर एक दिन का ट्रांजिट रिमांड हासिल किया गया।

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