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फिलहाल आम आदमी पार्टी व कांग्रेस में नहीं होगा गठबंधन

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत वह दिल्ली की सातों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल दोनों ही चाहते थे कि दिल्ली की सातों सीटों पर AAP-कांग्रेस में गठबंधन हो, लेकिन शीला दीक्षित के तर्कों के आगे राहुल गांधी को भी झुकना पड़ा।  यहां पर बता दें कि मंगलवार को दोपहर में राहुल गांधी के दिल्ली स्थित आवास पर दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेताओं की बैठक हुई, जिसमें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (DPCC) समेत दिग्गज नेता शामिल हुए। AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर राहुल गांधी के घर चल रही बैठक खत्म होने के पाद खुद शीला दीक्षित ने ऐलान किया कि दिल्ली में केजरीवाल के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल दोनों ही नेता चाहते थे कि दोनों पार्टियों में गठबंधन हो, लेकिन शीला दीक्षित के तर्कों पर ही अंततः मुहर लगी है।

इसलिए नहीं हुआ गठबंधन  गौरतलब है कि एआइसीसी के निर्देश पर शीला ने लगातार दो दिन अपने घर पर दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं को बुलाकर उनसे गठबंधन पर राय मांगी थी, जिसमें सभी ने यह कहते हुए गठबंधन नहीं करने की राय दी कि दिल्ली में कांग्रेस का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा है जबकि आम आदमी पार्टी  (AAP) की लोकप्रियता घट रही है। विभिन्न जिला कार्यकर्ता सम्मेलनों में उमड़ रही भीड़ का उदाहरण भी दिया जा रहा है।

  • दिल्ली कांग्रेस चाहती है कि दिल्ली में पार्टी को मजबूत बनाए रखने के लिए उसका अकेले ही चुनाव लड़ना जरूरी है।
  • अगर अकेले लड़े तो विधानसभा चुनाव में तो पार्टी दिल्ली में दोबारा अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कर सकती है।
  • दिल्ली के कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता मान रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल जिस तरह गठबंधन को लेकर लालायित थे, उससे स्पष्ट होने लगा था कि दिल्ली में तो वह कमजोर हो रहे हैं। ऐसे में बैशाखी की जरूरत AAP को हो रही थी।
  • विधानसभा उपचुनाव में खाता खुलने से बी दिल्ली के कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ताओं में विश्वास बढ़ा है और वे मान रहे हैं कि दिल्ली में बदलते राजनैतिक हालातों के चलते कांग्रेस एक बार दिल्ली में खुद को मजबूत कर सकती है।
  • दिल्ली के दिग्गज नेता लगातार कह रहे हैं कि अगर गठबंधन हुआ तो दिल्ली में कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच निराशा का भाव पैदा होगा।
  • शीला दीक्षित के अध्यक्ष बनने से पूरी दिल्ली कांग्रेस में उत्साह का संचार हुआ है।
  • कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार की हालात दिन-ब-दिन दयनीय होती जा रही है। AAP विधायकों और नेताओं में तक में निराशा का भाव है। ऐसे में कांग्रेस विकल्प के रूप में उभर सकती है।
  • कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि AAP सरकार के कामकाज को लेकर लोगों में रोष है, इसलिए उन्हें एक बार फिर से शीला दीक्षित का 15 साल का कार्यकाल नजर आ रहा है।
  • गठबंधन न होने से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दिल्ली में तो लाभ पहुंचेगा ही साथ ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की टक्कर AAP से नहीं बीजेपी से होगी।

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