एक इंटरव्यू के दौरान ई वी रामासामी पर रजनीकांत की एक टिप्पणी को लेकर मचा हंगामा
नई दिल्ली । द्रविड़ आंदोलन की शुरुआत करने वाले ईरोड वेंकट नायकर रामसामी पेरियार भारतीय राजनीति की विवादित हस्तियों में से एक हैं। इन्हें थंथई पेरियार के नाम से जाना जाता है। उन्होंने ही द्रविड़ कझगम की स्थापना की। कई आंदोलन के प्रणेता रहे पेरियार ने ब्राह्मणों के प्रति विरोध जताया था। यहां तक वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भी विरोधी हो गए थे।
रजनीकांत के खिलाफ ये है मामला तमिलनाडु में उन्होंने हिंदी भाषा का विरोध, हिंदू धर्म की कुरीतियों के अलावा बाल विवाह, विधवा महिलाओं को दोबारा शादी का अधिकार देने को लेकर कई आंदोलन चलाया। तमिलनाडु में ई वी पेरियार को लेकर सुपरस्टार रजनीकांत ने एक इंटरव्यू में टिप्पणी की थी। इसपर राज्य में हंगामा मच गया है और रजनीकांत के खिलाफ एफआइआर तक दर्ज करा दिया गया है। इसके बावजूद वे अपनी टिप्पणी पर माफी मांगने से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने जो कहा वह सच है और उस वक्त मीडिया ने भी इसका जिक्र किया था। बीते दिनों एक इंटरव्यू के दौरान रजनीकांत ने कहा था कि पेरियार लगातार हिंदू देवी-देवताओं के विरोध में बयानबाजी करते थे, लेकिन तब किसी ने कुछ नहीं कहा था।
एशिया का सुकरात- पेरियार पेरियार के द्रविड़ आंदोलन ने ही DMK, AIADMK और MDMK को जन्म दिया। इन्हें एशिया का सुकरात भी कहा जाता है। पेरियार का तमिलनाडु की सामाजिक और राजनीतिक हालात पर गहरा प्रभाव है। वर्ष 1879 में पेरियार का जन्म एक धार्मिक हिंदू परिवार में हुआ। हिंदू धर्म की कुरीतियों पर पेरियार ने पूरी जिंदगी अपना विरोध दर्ज कराया। उनका यह विरोध काफी लोगों को अपनी आस्था पर हमला से प्रतीत हुआ। हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों का भी पेरियार ने जमकर विरोध किया था जो सबसे बड़ा आंदोलन था। इसके तहत कई मूर्तियां तोड़ी गईं, जलाई गईं। इसके अलावा कई जगह मूर्तियों को जूतों की माला पहनाकर जुलूस निकाले गए।
पेरियार पर टिप्पणी कर BJP ने किया था डिलीट भारतीय राजनीति की सबसे विवादित हस्तियों में से एक पेरियार भी हैं। उनकी पुण्यतिथि 24 दिसंबर को थी। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी ने उनकी निजी जिंदगी पर एक ट्वीट कर दिया था। लेकिन हंगामा बढ़ता देख बाद में इसे हटा दिया। दरअसल, पेरियार ने 70 साल की उम्र में 32 साल की लड़ी मनियम्मई से शादी की थी।
ब्राह्मणों का करते रहे सदा विरोध ब्राह्मणों का वर्चस्व देख कांग्रेस पार्टी से वापस आ गए थे जिसमें वे महात्मा गांधी से प्रभावित होकर शामिल हुए थे। उनके अनुसार, छोटी जातियों पर धार्मिक सिद्धांतों को हथियार बनाकर ब्राह्मणों ने प्रभुत्व जमा रखा है। यहां तक कि उन्हें लगता था कि निचली हिंदू जातियां इससे बचने के लिए दूसरे धर्म अपना लें।
छोटी जातियों को पहचान दिलाने में अहम योगदान केरल के मंदिर में दलितों के प्रवेश के लिए वर्ष 1924 में पेरियार ने आंदोलन किया था। छोटी जातियों के पहचान को स्थापित करने में पेरियार की अहम भूमिका रही। इसके अलावा उन्होंने राज्य में हिंदी के खिलाफ भी आंदोलन किया।
कभी रहे महात्मा गांधी के शिष्य, बाद में बने विरोधी कभी महात्मा गांधी के शिष्य रहे पेरियार उनकी मौके के बाद विरोधी भी बन गए। मोहम्मद अली जिन्ना और डॉ बीआर अंबेडकर के अलावा महात्मा गांधी के विरोधियों में पेरियार भी शामिल थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद पेरियार काफी दुखी थे और भारत का नाम गांधी देश करने की मांग की।