दुनिया की सात सबसे अधिक औघोगिक और विकसित अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है G7,भारत को भी इस बार 45वें जी-7 शिखर सम्मेलन में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया
नई दिल्ली । जी 7 दुनिया की सात सबसे अधिक औद्योगिक और विकसित अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। उनके राजनीतिक नेता प्रतिवर्ष महत्वपूर्ण वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। फ्रांस की तरफ से भारत को भी इस बार 45वें जी-7 शिखर सम्मेलन में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। उद्देश्य: इस साल 45वां जी-7 शिखर सम्मेलन 24-26 अगस्त, 2019 को फ्रांस के बिरिट्ज शहर में आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन का एजेंडा आय और लैंगिक असमानता से लड़ने और जैव विविधता की रक्षा पर केंद्रित है।
जी 7 के सदस्य देश फ्रांस, इटली, जापान, जर्मनी, कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन। जी-7 शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ का भी प्रतिनिधित्व किया जाता है। समूह खुद को ‘कम्यूनिटी ऑफ वैल्यूज’ यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है। स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और कानून का शासन और समृद्धि और टिकाऊ विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं।
समूह का काम शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी। इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था। अगले साल कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया। जी-7 देशों के मंत्री और नौकरशाह आपसी हितों के मामलों पर चर्चा करने के लिए हर साल मिलते हैं। प्रत्येक सदस्य देश बारी- बारी से इस समूह की अध्यक्षता करता है और दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है। यह प्रक्रिया एक चक्र में चलती है। ऊर्जा नीति, जलवायु परिवर्तन, एचआइवी-एड्स और वैश्विक सुरक्षा जैसे कुछ विषय हैं, जिन पर पिछले शिखर सम्मेलनों में चर्चाएं हुई थीं। शिखर सम्मेलन में अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाता है।
रूस हुआ बाहर 1998 में रूस के शामिल होने के बाद समूह जी-8 के रूप में जाना गया, लेकिन 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद इसे समूह से निकाल दिया गया।
कितना प्रभावी है जी-7 की आलोचना यह कह कर की जाती है कि यह कभी भी प्रभावी संगठन नहीं रहा है, हालांकि समूह कई सफलताओं का दावा करता है, जिनमें एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने के लिए वैश्विक फंड की शुरुआत करना भी है। समूह का दावा है कि इसने साल 2002 के बाद से अब तक 2.7 करोड़ लोगों की जान बचाई है। समूह यह भी दावा करता है कि 2016 के पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के पीछे इसकी भूमिका है।
चीन हिस्सा क्यों नहीं चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है, फिर भी वह इस समूह का हिस्सा नहीं है। इसकी वजह यह है कि यहां दुनिया की सबसे बड़ी आबादी रहती हैं और प्रति व्यक्ति आय जी-7 समूह देशों के मुक़ाबले बहुत कम है। ऐसे में चीन को विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता है, जिसकी वजह से यह समूह में शामिल नहीं है।
प्रमुख चुनौतियां आंतरिक रूप से जी 7 में कई असहमतियां हैं। पिछले साल कनाडा में हुए शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति ट्रंप जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई और आयात करों को लेकर अन्य सदस्यों के साथ भिड़ गए थे। अफ्रीका, लैटिन अमेरिका से कोई जी 7 सदस्य नहीं हैं। अर्थव्यवस्था के मामले में तेजी से उभरते ब्राजील और भारत भी इसका हिस्सा नहीं हैं। कुछ वैश्विक अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये अर्थव्यवस्था 2050 तक जी 7 राष्ट्रों में से कुछ को पीछे छोड़ देगी।