Uttarakhand
दो विभागों ने अनुसंधान कार्यों को आम जन तक पहुँचाने को समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर
देहरादून। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत कार्यरत भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान देहरादून कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करता है। इस संस्थान ने वन अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर अपने अनुसंधान कार्यों को आम जन तक पहुँचाने के लिए एक पहल की जिसके तहत दोनों संस्थानों के निदेशकों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर अरुण सिंह रावत, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान ने बताया कि यह समझौता ज्ञापन दोनों संस्थानों को एक समान मंच पर आकर अपनी वैज्ञानिक जानकारियों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा तथा दोनों संस्थान मिलकर संयुक्त और प्रभावी तरीके से अपनी तकनीकियों को आम जन तक पहुँचा सकेंगे। इससे समाज के गरीब किसान, मजदूर एवं अन्य कमजोर वर्गों, खासकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को लाभ मिलेगा और वे आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बन कर बेहतर जीवन यापन कर सकेंगे। समझौते में इस बात पर विशष ध्यान दिया गया है। पी. आर. ओजस्वी, निदेशक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने इस अवसर पर कहा कि दोनों संस्थानों के संयुक्त प्रयासों से आमजन को अवश्य ही लाभ होगा क्योंकि इससे कृषि एवं वानिकी विषय के संबंध में संयुक्त जानकारी आमजन को दी जा सकेगी। इस अवसर पर डा0 हर्ष मेहता, प्रमुख, पादप विज्ञान प्रभाग, डा0 चरन सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून, डा0 ए.के. पाण्डेय, प्रभाग प्रमुख, विस्तार प्रभाग, डा0 चरन सिंह, वैज्ञानिक-ई, विस्तार प्रभाग आदि उपस्थित रहे। इन्होंने भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान की टीमे के साथा आई टी. बिद्या ने बैठक और समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया। वन अनुसंधान संस्थान भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के अधीन वानिकी अनुसंधान, विस्तार और शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान है, जो वानिकी के क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों, किसानों, वन विभागों, स्वयं सहायता समूहों, गैर सरकारी संगठनों तथा विद्यार्थियों आदि को अनुसंधान तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान करता है। यह संस्थान वानिकी के विभिन्न पहलुओं पर जैसे नरसरी निर्माण, पादप सुधार, मृदा एवं जल संरक्षण, कृषिवानिकी, बांस परिरक्षण और काष्ठ प्रसंस्करण, अकाष्ठ वन उपज आदि पर शोध करके लोगों तक पहुँचाता है।