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देश को बहुत जल्द ही चीफ आफ डिफेंस स्टाफ मिलेगा जो तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के साथ रणनीति तय करेगा

नई दिल्ली । अलग अलग तरह की सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहे देश को बहुत जल्द ही चीफ आफ डिफेंस स्टाफ  मिलेगा जो तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के साथ रणनीति तय करेगा। चार महीने पहले लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने भी इसे मंजूरी दे दी है।

गौरतलब है कि कारगिल समीक्षा समिति  ने इसकी सिफारिश की थी। 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) के समय देश की सुरक्षा प्रणालियों व रणनीति में खामी की समीक्षा के लिए बनाई गई थी और यह माना गया था कि समन्वय के लिए एक एकीकृत सैन्य सलाहकार होना चाहिए।

      दरअसल समन्वय की खामी 1962 में चीन के साथ युद्ध के वक्त और 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के वक्त भी महसूस की गई थी, जब कभी वायुसेना तो कभी नौसेना के साथ सही संवाद और समन्वय नहीं बनाया गया और उसका नुकसान हुआ था। जरूरत शुरू से महसूस की जा रही थी और कारगिल समिति के सुझाव के बाद भी यह प्रस्ताव लंबित ही था। प्रधानमंत्री मोदी ने जब इसकी घोषणा की थी तो सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के नेतृत्व में इसके प्रारूप पर चर्चा के लिए एक समिति भी बनाई गई थी।

       तय प्रारूप के अनुसार सीडीएस को चार स्टार जनरल का रुतबा हासिल होगा और वह डिपार्टमेंट आफ मिलिटरी अफैयर्स के प्रमुख होंगे। सीडीएस मुख्यतया रक्षा और रणनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री के सलाहकार के रूप में काम करेगा। हालांकि दूसरे सेनाध्यक्ष भी विभिन्न मुद्दों पर सलाह देते रहेंगे। यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि सीडीएस किसी भी मिलिटरी कमांड के रूप में काम नहीं करेंगे बल्कि केवल समन्वय की जिम्मेदारी होगी। एक मामले में यह बाकी के तीनों सेनाध्यक्ष के बराबर ही होंगे लेकिन उनका प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को सलाह देने के मामले में वह प्रमुख होंगे। तय प्रारूप के अनुसार सीडीएस डीफेंस एक्वीजीशन काउंसिल और डिफेंस प्लानिंग कमीटी के सदस्य होंगे। वह न्यूक्लियर कमांड अथारिटी के मिलिटरी एडवाइजर भी होंगे।

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