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कोविड-19 से अपनी लड़ाई जारी रखने के साथ ही भारत खाड़ी देशों का देगा साथ

नई दिल्ली। भारत में ‘इस्लामोफोबिया’ को लेकर सोशल मीडिया ट्विटर पर कुछ लोग जो शोर-शराबा कर रहे हैं वह खाड़ी देशों के साथ भारत के रिश्तों की सही तस्वीर नहीं है। भारत और खाड़ी देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध पहले की तरह ही मजबूत है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि कोविड-19 से अपनी लड़ाई जारी रखने के साथ ही भारत कुवैत, ओमान, सउदी अरब, बहरीन समेत अन्य देशों को दवाइयों के साथ ही डॉक्टरों व नर्सो की टीम भी भेजने जा रहा है। इसके अलावा इन देशों को रमजान के महीने में पर्याप्त खाद्य सामग्री की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जा रही है। इन देशों के शीर्ष राजनीतिक नेताओं ने भी अभी तक वहां रहने वाले भारतीयों की हरसंभव मदद करने की बात कही है। वैसे जरुरत पड़ने पर भारत इन देशों से नागरिकों को निकालने की तैयारियों में भी जुटा है।

पीएम मोदी और विदेश मंत्रालय ने प्रमुख साझेदार देशों से की बात विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले दस दिनों में खाड़ी क्षेत्र के सभी प्रमुख साझेदार देशों के साथ बात की है। कुछ ट्विटर हैंडल में जो बातें कही जा रही हैं जो भारत के साथ इन देशों के रिश्तों की जमीनी हकीकत से दूर है। जमीन स्तर पर दोनो देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ हो रहे हैं। सउदी अरब और ओमान ने भारत से ज्यादा चिकित्साकर्मियों की मांग की है जिस पर भारत सकारात्मक तरीके से विचार कर रहा है।भारत इन दोनो देशों को रमजान के लिए पर्याप्त खाद्य सामग्री आपूर्ति का आश्वासन दिया है। भारत ने इन देशों से आग्रह किया है कि उनके नागरिकों का वहां सही तरीके से ख्याल रखा जाए जिसका सकारात्मक जवाब मिला है। पिछले 10 दिनों में विदेश मंत्री जयशंकर सउदी अरब, ओमान, बहरीन, कुवैत, कतर, यूएई, फिलिस्तीन के विदेश मंत्रियों से बात कर चुके हैं। पीएम मोदी ने भी तकरीबन इन सभी देशों के प्रमुखों से बात की है जिसमें द्विपक्षीय रिश्तों की समीक्षा की गई है।

अगले हफ्ते बढ़ाई जाएगी यह आपूर्ति जानकारों के मुताबिक कोविड19 की वजह से आतंरिक आवागमन बाधित होने के बावजूद भारत खाड़ी के देशों को फल-सब्जियों व प्रोसेस्ड खाद्य उत्पादों की आपूर्ति बढ़ा रहा है। अगले हफ्ते यह आपूर्ति और बढ़ाई जाएगी। हाल ही में ओमान सरकार की तरफ से वहां के सरकारी उपक्रमों में विदेशियों की जगह स्थानीय नागरिकों को रोजगार देने के सवाल पर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह भारत को लक्षित करके नहीं है। वैसे भी यह पुरानी नीति है और इसका भारतीय कामगारों पर कोई खास असर नहीं होगा। ओमान में तकरीबन 7 लाख भारतीय रहते हैं और ज्यादातर प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं।

खाड़ी देशों की इकॉनॉमी कच्चे तेलों पर निर्भर खाड़ी देशों के साथ अपने रिश्तों को लेकर आश्वस्त होने के बावजूद केंद्र सरकार उस स्थिति के लिए भी तैयारी कर रही है कि खाड़ी क्षेत्र से अपने नागरिकों को निकाल कर स्वदेश लाया जा सके। इसके पीछे एक वजह कोरोना वायरस से पैदा होने वाली मंदी है। खाड़ी क्षेत्र के ज्यादातर देशों की पूरी इकॉनॉमी कच्चे तेल व गैस पर निर्भर करती है। जब इनकी कीमतें तेज होती है तो इनकी अर्थव्यवस्था तेज होती है और अभी जबकि वहां भारी मंदी छाई हुई है तो उसका दबाव पूरी इकॉनॉमी पर पड़ने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक खाड़ी के क्षेत्र में भारतीय श्रमिकों को सबसे ज्यादा रोजगार कंस्ट्रक्शन में मिला है जो अभी एकदम बंद पड़ा है। भारतीयों को निकालने को लेकर विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के बीच लगातार विमर्श चल रहा है।

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