देश और दुनियां की नजर में आने को टिहरी झील में होगी मंत्रिमंडल की बैठक
देहरादून: पर्यटन को राज्य की आर्थिकी का अहम हिस्सा बनाने और बेरोजगारी को दूर करने के लिए त्रिवेंद्र रावत सरकार भागीरथी (गंगा) के शरणागत होने जा रही है। टिहरी झील पर जल्द मंत्रिमंडल की बैठक होगी। मकसद एकदम साफ है कि टिहरी झील को देश-दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर उभारा जाए। इसके साथ ही पलायन को रोकने और रिवर्स पलायन को प्रोत्साहित करने को राज्य सरकार पलायन आयोग की वेबसाइट जल्द लांच करने जा रही है। इस वेबसाइट के जरिये आम जनता भी पलायन को लेकर अपने सुझाव साझा कर सकेगी।
अकूत जल संपदा के बूते ऊर्जा प्रदेश बनने के ख्वाब को पर्यावरणीय समेत बंदिशों के चलते पलीता लग गया, लेकिन सरकार ने अब पर्यटन को आमदनी और रोजगार का मुख्य जरिया बनाने की दिशा में भागीरथ प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसकी शुरुआत टिहरी में भागीरथी पर बनी करीब 45 किमी लंबी झील से की जाएगी।
दरअसल टिहरी झील को सरकार राज्य में पर्यटन के मुख्य आकर्षण के तौर पर पेश करने की कवायद में जुटी है। हालांकि अब तक टिहरी महोत्सव आयोजित कर झील क्षेत्र में पर्यटन विकास को प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन अभी देश और दुनिया में तीर्थाटन और धार्मिक पर्यटन को छोड़कर खूबसूरत पर्यटक स्थल के रूप में उत्तराखंड की पहचान स्थापित होना बाकी है।
टिहरी झील के जरिये पर्यटकों को उत्तराखंड की ओर खींचने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक टिहरी झील को पर्यटन मानचित्र में लाने के लिए वहां मंत्रिमंडल की बैठक जल्द बुलाई जा सकती है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की इस मामले में खासी रुचि देखते हुए मंत्रिमंडल की बैठक की तैयारी शुरू की जा रही हैं।
साथ में तीर्थाटन के जरिये भी पर्यटन विकास की संभावनाओं को खंगालते हुए केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण उपक्रमों का सहयोग लिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक गंगोत्री और यमुनोत्री क्षेत्र को विकसित करने में ओएनजीसी की मदद ली जाएगी।
वहीं श्रीबदरीनाथ धाम को विकसित करने में एनटीपीसी की मदद ली जा सकती है। दरअसल, पर्यटन के जरिये सरकार को उम्मीद है कि सेवा क्षेत्र में बड़ा उछाल लाया जा सकता है। इससे व्यापक स्तर पर रोजगार खासतौर पर स्वरोजगार के नए मौके सृजित होंगे।
इसके साथ ही पलायन पर अंकुश लगाने में अब विशेषज्ञों के साथ ही आम जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी। इसके लिए पलायन आयोग की वेबसाइट को लांच किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो त्रिवेंद्र रावत सरकार के एक साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर यह कदम उठाया जा सकता है।