News UpdateUttarakhand

शहीद दिवस पर क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद किया गया

ऋषिकेश। 23 मार्च वर्ष 1931 को भारत माता के सुपुत्र भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फाँसी पर लटकाया गया था इन तीनों देशभक्तों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये हसँते-हसँते अपने प्राणों का बलिदान कर दिया आज उनके शहीद दिवस पर भावभीनी श्रद्धाजंलि और नमन। भारत का इतिहास शहीदों, देशभक्तों और मातृभूमि की रक्षा के लिये अपने प्राणों का बलिदान करने वालों का इतिहास है। भारतीयों के लिये मातृभूमि की स्वतंत्रता कितना महत्त्व रखती है यह इतिहास के पन्ने बखूबी बयाँ करते हैं। भारतीयों को अपनी मातृभूमि को आजाद कराने के लिये बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास बहुत लंबा रहा है, जिसमें देश के अनेक देशभक्तों को जिसमें भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे कई युवा शामिल थे, उन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी। शहीद दिवस पर उन वीर बलिदानियों के बलिदान और देशभक्ति को नमन।
स्वामी जी ने कहा कि भगत सिंह के विचार और साहस आज की युवाओं को प्रेरणा देने वाले हैं। उनका साहस और दृढ़ विश्वास इस बात से प्रमाणित होता है कि उन्होंने 23 वर्ष की आयु में हसंते-हसंते फांसी का फंदा चूम लिया। क्रान्ति के प्रति भगतसिंह के विचार थे की खुनी संघर्ष से किसी भी समस्या का हल नहीं निकला जा सकता बल्कि अन्याय पर आधारित समाज व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिये न्यायोचित कार्यवाही की जानी चाहिये तथा अहिंसा ही सभी जन आन्दोलनों का अनिवार्य सिद्धान्त होना चाहिए क्योंकि यह सिद्धांत सामाजिक न्याय की धारणा को पुख्ता करता है।
प्रति वर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1931, 23 मार्च को भारत के तीन स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मृत्युदंड दिया गया था। उन्हें 23 मार्च, 1931 की शाम को ही फांसी दे दी गई थी। फांसी पर लटकाते समय भगत सिंह केवल 23 वर्ष के थे परन्तु वे अद्भुत क्रांतिकारी विचारों के धनी थे। देशभक्ति और क्रान्ति की चिंगारी को मशाल का रूप देने वाला ‘इंकलाब जिंदाबाद’ नारा पहली बार भगत सिंह ने ही बोला था। उनका मानना था कि व्यक्ति को मारा तो जा सकता है परन्तु उसके विचारों को दबाया नहीं जा सकता ऐसे देशभक्त को भावभीनी श्रद्धांजलि। परमार्थ निकेतन आश्रम परिसर में जिला पंचायत पौड़ी की त्रैमासिक बैठक का आयोजन किया गया। जिला पंचायत अध्यक्ष शांति देवी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उमरोली जिला पंचायत सदस्य आरती गौड़, पंचायत सदस्य गौरव रावत, भादसी जिला पंचायत सदस्य क्रांति कपरुवाण, चांदपुर के जिला पंचायत सदस्य अमन बिष्ट, इस मौके पर पौड़ी मुख्य विकास अधिकारी आशीष बंणगाई, अपर मुख्य जिला पंचायत अधिकारी संतोष कुमार, जिला पंचायत उपाध्यक्ष रचना बुटोला, जिला पंचायत सदस्य कैलास, विनोद डबराल, संजय डबराल, कुलदीप रावत आदि शामिल थे। जिला पंचायत के सभी पदाधिकारियों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया और पंचायतों के माध्यम से किस प्रकार स्वच्छता, पर्यावरण व जल संरक्षण, वृक्षारोपण हेतु कार्य किये जा सकता है इस पर चर्चा की।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button