सीमा पर शांति बनाये रखने को भारत व चीन रजामंद, अंतरराष्ट्रीय सीमा के सीमांकन व उसके स्थाई हल की कोशिश और तेजी से की जायेगी
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच इस बात की रजामंदी बनी है कि पिछले कुछ समय से दोनो देशों के बीच स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जो शांति स्थापित की गई है उसे आगे भी बनाये रखा जाएगा। शनिवार को दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की अगुवाई में हुई बैठक में यह भी सहमति बनी है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के सीमांकन व उसके स्थाई हल की कोशिश और तेज की जाएगी।
एनएसए डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की अगुवाई में हुई वार्ता नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की अगुवाई में बैठक हुई। सीमा विवाद सुलझाने के लिए की गई व्यवस्था के तहत यह 22वीं बैठक थी।
भारत-चीन के रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने को लेकर हुई वार्ता विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक बैठक में मुख्य तौर पर चेन्नई में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी शिनफिंग के बीच हुई वार्ता के मुताबिक आगे द्विपक्षीय रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने व भरोसा मजबूत करने को लेकर बातचीत हुई है। अक्टूबर, 2019 में हुई बैठक के बाद दोनों देशों के रिश्तों में किस तरह से प्रगति हो रही है, इसकी भी समीक्षा की गई है।
भारत और चीन को सीमा विवाद का स्थाई हल निकालना चाहिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने इस बात की जरुरत बताई कि भारत व चीन के रणनीतिक रिश्तों को ध्यान में रखते हुए सीमा विवाद का स्थाई हल निकालना चाहिए। दोनों देश इस बात के लिए भी सहमत हैं कि मोदी और शिनफिंग ने जो दिशानिर्देश दिए हैं उसके मुताबिक ही दोनों पक्षों को स्वीकार्य व न्यायपूर्ण हल निकाला जाना चाहिए।
सीमा विवाद का हल निकलने तक सीमा पर शांति बनाये रखने को राजी भारत व चीन विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों पक्ष इस बात के लिए रजामंद है कि जब तक स्थाई समाधान नहीं होता है तब तक सीमा पर शांति बनी रहनी चाहिए ताकि द्विपक्षीय रिश्तों के दूसरे आयामों में तरक्की होती रहे। इसके लिए हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भरोसा बहाल करने के लिए जो उपाय किये गये हैं उन्हें भी जारी रखना चाहिए।
मोदी व शिनफिंग वार्ता का सकारात्मक असर सनद रहे कि मोदी व शिनफिंग के बीच अप्रैल, 2018 में पहली अनौपचारिक बैठक के बाद दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों को रणनीतिक संदेश दिया गया था कि वह आपसी भरोसे को बनाने का काम करें। इसका अभी तक सकारात्मक असर दिखा है और उसके बाद दोनो देशों की सेनाओं के बीच कोई असहज स्थिति नहीं बनी है जैसा कि डोकलाम में हुआ था।
विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक चीन में होगी शनिवार को हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा था और दोनों तरफ के प्रतिनिधियों ने यह महसूस किया कि एक दूसरे के संवेदनाओं व चिंताओं का ख्याल रखना जरुरी है तभी आगे भरोसा मजबूत होगा। बैठक में दूसरे द्विपक्षीय व वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई है। विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक चीन में होगी।