National

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा हरियाणा का कर्मचारी चयन आयोग

चंडीगढ़। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को बेरोजगार पढ़े लिखे युवाओं का मंदिर कहा जाता है, लेकिन ‘चढ़ावे’ के चलन ने इसकी पवित्रता भंग कर दी है। मोटे पैसे लेकर नौकरियां बांटने वाले बड़े रैकेट के पकड़े जाने से अब इस सवाल खड़े हो गए हैैं। अपनी योग्यता के बूते सरकारी नौकरियां हासिल करने का सपना देखने वाले युवाओं का कैरियर पूरी तरह से दांव पर है। वे मामने लगे है कि अब योग्यता की नहीं बल्कि चढ़ावे की अधिक कद्र है। जो युवा जितना अधिक चढ़ावा चढ़ाएगा, उसे उतनी बढिय़ा नौकरी मिलेगी। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के आठ कर्मचारियों के भर्ती घोटाले में पकड़े जाने के बाद नौकरी हासिल करने की लाइन में लगे आम युवाओं में यही धारणा पनप रही है। इस धंधे में निचले कर्मचारियों से लेकर ऊपर के स्तर तक पूरा सिस्टम काम कर रहा है। बड़ी मछलियां अभी पकड़ से बाहर हैैं, लेकिन पूरे देश में जिस तरह से हरियाणा को शर्मसार होना पड़ा है, अब बरसों तक उसकी भरपाई शायद ही हो सकेगी।हरियाणा में सरकारी नौकरियां हमेशा से विवादों का कारण बनती आई हैैं। राज्य में चाहे किसी भी दल की सरकार रही हो, सरकारी नौकरियां बांटने में भेदभाव, क्षेत्रवाद तथा पैसे के खेल के आरोपों से कोई नहीं बच पाया है। ऐसे ही मामले में एक पूर्व मुख्यमंत्री फिलहाल जेल में हैं तो दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हजारों नौकरियों पर सवाल उठते रहे हैैं। मौजूदा भाजपा सरकार ने नौकरियों में भेदभाव, क्षेत्रवाद और पैसे के लेनदेन को खत्म करने का दावा किया था, लेकिन इस खुलासे से इस पर प्रश्‍नचिह्न लगा गया है।

हरियाणा की मौजूदा मनोहरलाल सरकार ने करीब 24 हजार सरकारी नौकरियां दी हैैं। कर्मचारी चयन आयोग में जो रैकेट पकड़ा गया है, वह बरसों से यहां चल रहा था। मनोहरलाल सरकार को जब इसकी भनक लगी तो पिछले आठ माह से उस पर नजर रखी गई। राज्‍य सरकार को लग रहा था कि इस रैकेट को पकड़ने के बाद युवाओं में एक अच्छा संदेश यह जाएगा कि भाजपा ने भ्रष्टाचार की जड़ पर हमला कर बड़ी सफलता हासिल की है। लेकिन, संदेह यह पैदा हो गया है कि अभी तक जितनी नौकरियां दी गई, उनमें भी जरूर कहीं न कहीं लेनदेन हुआ ही होगा। भाजपा नेताओं के पास अपनी पीठ ठोंकने के लिए बहुत कुछ है। वे कह सकते हैैं कि भ्रष्टाचार खत्म करने की उनकी सोच अच्छी थी, मगर विपक्ष की दलीलों को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। विपक्ष का बड़ा सवाल यही है कि यह कैसे मान लिया जाए कि जिन 24हजार नौकरियों के रिजल्ट अभी तक निकाले जा चुके हैैं, वे पवित्रता की कसौटी पर खरे रहे होंगे। भर्ती रैकेट में खुलासा हुआ है कि नाैकरियों के लिए दो लाख से 20 लाख रुपये तक में सौदेबाजी की गई है। इस रैकेट के तार नेताओं, अधिकारियों व आयोग के कर्मचारियों से सीधे तौर पर जुड़े थे, मगर अभी तक इसकी तह में नहीं पहुंचा जा सका है। विपक्ष लगातार हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती को पद से हटाकर सीबीआइ जांच का दबाव बना रहा है, लेकिन सरकार की जांच अभी तक भी सिर्फ सीएम फ्लाइंग टीम तक सिमटी हुई है, जिसका मतलब साफ है कि अभी सरकार कोई बड़ा रिस्क लेने के मूड में नजर नहीं आ रही है।

दरअसल, विपक्ष इसलिए भी सरकार और आयोग पर हमलावर है, क्योंकि विधानसभा के बजट सत्र में एक आडियो पर हंगामा हो चुका है। इस आडियो में भारत भूषण भारती के बेटे पर 50 लाख रुपये लेकर पिहोवा नगर परिषद का चेयरमैन बनवाने का आरोप है। इस मामले की गंभीर जांच कराने की बजाय सरकार ने आयोग के सभी सदस्यों को एक-एक साल तथा चेयरमैन को तीन साल का सेवा विस्तार दे दिया।

सवाल यहां भी खड़ा हो रहा है कि यदि सरकार की नीयत आयोग में बरसों से चली आ रही गंदगी की सफाई करने की नहीं होती तो रैकेट को दबोचने की बजाय उसे नजर अंदाज किया जा सकता था, मगर ऐसा हुआ नहीं। ऐसे में देर सबेर कई अहम और बड़े खुलासे होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। सीएम फ्लाइंग ने छापेमारी के दौरान जिन कर्मचारियों तथा दलालों को गिरफ्तार किया है, उनमें हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग पंचकूला के कार्यालय अधीक्षक सुभाष पराशर, सहायक रोहताश शर्मा, सहायक सुखविंद्र सिंह, सहायक अनिल शर्मा, आइटी सेल में अनुबंधित कर्मचारी पुनीत सैनी, धमेंद्र कुमार, लिपिक बलवान सिंह और सिंचाई विभाग का सहायक सुरेंद्र कुमार शामिल हैैं। एक कर्मचारी जींद में भी पकड़ा गया, जो नरवाना का सुरेश कुमार है।

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग पंचकूला के कर्मचारी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मेरिट लिस्ट में शामिल ऐसे उम्मीदवारों को चिन्हित करते थे, जिन्हें साक्षात्कार में केवल पास नंबर की जरूरत होती थी।
– आयोग के कर्मचारी इन्हीं उम्मीदवारों से दलालों के माध्यम से संपर्क करते थे और पास कराने के पैसे लेते थे।
– इस साजिश में कर्मचारी चयन आयोग के कर्मचारियों के अलावा दूसरे सरकारी विभागों के कर्मचारी भी शामिल हैैं, जो आपस में जुड़े हैैं।
– सभी कर्मचारी मोबाइल के माध्यम से मेरिट में चयनित उम्मीदवारों से संपर्क करते थे और सौदेबाजी करते हुए उनसे पैसे तय करते थे।
– पुलिस रिमांड के दौरान चार दिन की पूछताछ में यह भी पता चला कि यह रैकेट ट्रांसफर कराने, नई पोस्टिंग दिलाने तथा मनपसंद सीट दिलाने के भी पैसे लेता था।

  हमने बरसों से चले आ रहे एक रैकेट को पकड़ा है। नौकरियों में धंधेबाजी खत्म की। पारदर्शिता से नौकरी दी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। कम से कम हमने नौकरियां बेचने वालों को पकड़ने का साहस किया है। आज तक कोई सरकार यह काम नहीं कर पाई। मैैं किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार सहन नहीं करूंगा। दोषी चाहे मैैं स्वयं भी हूं, मेरे खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वह चाहे कितना भी बड़ा और कोई भी क्यों न हो। आरोपितों से वसूली गई रकम भी वापस ली जाएगी। नौकरियों की पवित्रता तथा पारदर्शिता से कोई समझौता नहीं होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button