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भारी विरोध प्रदर्शन के बावजूद सबरीमाला मंदिर के कपाट खुले

तिरुवनंतपुरम। केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट खुल गए। इस दौरान पारंपरिक पूजा विधि से आरती की गई। जानकारी के मुताबिक भक्त रात 10.30 बजे तक भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकेंगे। हालांकि इसे लेकर सुबह से ही तनाव बना हुआ था। इससे पहले उग्र प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतर आए थे। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया के वाहनों को भी निशाना बनाया। वहीं, पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 30 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया था। प्रशासन ने पंपा, नीलक्कल,सनिधनम और इलावुंगल में धारा 144 लगा दी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हर आयु की महिलाओं के मंदिर के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटाने के फैसला के बाद पहली बार मंदिर के कपाट खुले हैं। हालांकि कोर्ट के फैसले के बावजूद महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को रोकने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट के फैसले के चलते हर उम्र की महिला श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में जुटने लगी हैं। वहीं, दूसरी ओर वो लोग भी वहां डेरा जमाए बैठे हैं, जो महिलाओं के प्रवेश के सख्त खिलाफ है।

दिनभर हुए उग्र प्रदर्शन  प्रदर्शनकारियों ने बसों पर पथराव किया, मीडियाकर्मियों को भी निशाना बनाया। यही नहीं प्रदर्शनकारियों ने मीडिया की गाड़ी पर हमला किया। महिला पत्रकारों को भी डराया-धमकाया। 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन दिनभर जा रहा। पंबा से तकरीबन 30 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम  इस बीच मंदिर परिसर के बाहर विरोध-प्रदर्शन और तनाव के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। 800 पुरुष और 200 महिलाओं सहित एक हजार सुरक्षाकर्मियों को निलेक्कल और पंपा बेस कैंप पर तैनात किया गया था। 500 सुरक्षाकर्मियों को सन्निधानम में तैनात किया गया था।

मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं को रोका  मंदिर तक जाने वाले रास्ते से ही 10 से 50 वर्ष के उम्र के बीच की महिलाओं को वापस लौटाया जा रहा था। भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला भक्त निलक्कल में कई वाहनों को रोक-रोकर चेक कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं को आगे जाने से रोक दिया। जिसके चलते तनाव और बढ़ गया था।हालात न बिगड़ें इसके लिए पुलिस भी पूरी सावधानी बरत रही थी। ऐसी ही एक महिला श्रद्धालु माधवी को उसके बच्चों के साथ बीच रास्ते से ही वापस लौटा दिया गया। इस दौरान उसकी बच्ची रोती रही, लेकिन किसी का भी दिल नहीं पिघला। बता दें कि मंदिर परिसर से करीब 20 किलोमीटर दूर निलक्कल बेस कैंप में भगवान अयप्पा के बहुत सारे भक्त ठहरे हुए थे।

मामले में भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया  सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की पाबंदी को लेकर मचे बवाल पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, ‘इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है, लेकिन अब आप कह रहे हैं कि यह हमारी परंपरा है। तीन तलाक भी इसी तरह की परंपरा थी, लेकिन जब इसे खत्म किया गया तो सब लोग प्रशंसा कर रहे थे। वहीं, हिंदू अब सड़कों पर आ गए हैं।’वहीं, सबरीमाला मंदिर मसले को लेकर महिलाओं के विरोध प्रदर्शन पर भाजपा नेता उदित राज ने कहा, ‘मैंने समानता के लिए लड़ाई देखी है, दासता (गुलामी) और असमानता के लिए नहीं। एक ओर, देश में पुरुषों द्वारा अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई चल रही है तो दूसरी तरफ, महिलाएं ही अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के खिलाफ लड़ रही हैं।

30 प्रदर्शनकारी हिरासत में  सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई भी शुरू हो गई है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना भी शुरू कर दिया है, ताकि तनाव कम किया जा सके। पुलिस अब तक कुल 30  प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले चुकी है।

जानिए- क्या है विवाद  कन्नड़ ऐक्टर प्रभाकर की पत्नी जयमाला ने दावा किया था कि उन्होंने अयप्पा की मूर्ति को छुआ और उनकी वजह से अयप्पा नाराज हुए। उन्होंने कहा था कि वह प्रायश्चित करना चाहती हैं। अभिनेत्री जयमाला ने दावा किया था कि 1987 में अपने पति के साथ जब वह मंदिर में दर्शन करने गई थीं तो भीड़ की वजह से धक्का लगने के चलते वह गर्भगृह पहुंच गईं और भगवान अयप्पा के चरणों में गिर गईं। जयमाला का कहना था कि वहां पुजारी ने उन्हें फूल भी दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका  जयमाला के दावे पर केरल में हंगामा होने के बाद मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने के इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान गया। 2006 में राज्य के यंग लॉयर्स असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की।इसके बावजूद अगले 10 साल तक महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामला लटका रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने किया था हस्तक्षेप  याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के ट्रस्ट त्रावणकोर देवासम बोर्ड से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति न देने पर जवाब मांगा था। बोर्ड ने कहा था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और इस वजह से मंदिर में वही बच्चियां व महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, जिनका मासिक धर्म शुरू न हुआ हो या फिर खत्म हो चुका हो। 7 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख जाहिर किया था कि वह सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के पक्ष में है। 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है।

सबरीमाला मुद्दे पर खूब हुई राजनीति
– 2006 में मंदिर में प्रवेश की अनुमति से जुड़ी याचिका दायर होने के बाद 2007 में एलडीएफ सरकार ने प्रगतिशील व सकारात्मक नजरिया दिखाया था।
– एलडीएफ के रुख से उलट कांग्रेस नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार ने बाद में अपना पक्ष बदल दिया था।
– चुनाव हारने के बाद यूडीएफ सरकार ने कहा था कि वह सबरीमाला में 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ हैं।
– यूडीएफ का तर्क था कि यह परंपरा बीते 1500 साल से चली आ रही है।
– भाजपा ने इस मुद्दे को दक्षिण में पैर जमाने के मौके की तरह देखा और बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के महिलाओं के हक में फैसले के विरोध में हजारों बीजेपी कार्यकर्ताओं ने केरल राज्य सचिवालय की ओर मार्च किया।
– महिला अधिकार संगठनों ने इसे मुद्दा बनाया साथ ही भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने भी सबरीमाला मंदिर आने की बात कही है।

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