बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को बनाएगी मुद्दा
कोलकाता। बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को मुद्दा बनाएगी। गौरतलब है कि झारखंड और दिल्ली में गत माह हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने इसे मुद्दा बनाया था।
अमित शाह बोले, शरणार्थियों को नागरिकता देकर रहेंगे सूत्रों का कहना है कि इसको लेकर पार्टी में किसी तरह का कोई कंफ्यूजन नहीं है। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने भी कोलकाता में आयोजित रैली में स्पष्ट कहा था कि वह शरणार्थियों को नागरिकता देकर रहेंगे। दरअसल, बंगाल उन राज्यों में शामिल है, जहां बांग्लादेश से आने वाले अल्पसंख्यकों की संख्या काफी है। लाखों की तादाद में यहां हिंदू शरणार्थी के रूप में मतुआ संप्रदाय के लोग रहते हैं, जो सालों से नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं। माना जाता है कि बंगाल की करीब 70 विधानसभा क्षेत्रों में इनका प्रभाव है।
शरणार्थियों को साधने की कोशिश में है भाजपा बंगाल के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के राज्य में 18 सीटें जीतने के पीछे मतुआ संप्रदाय के लोगों का समर्थन भी एक प्रमुख कारण रहा है। इसी कारण सीएए को आगामी विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाकर भाजपा इन शरणार्थियों को साधने की कोशिश में है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारी पार्टी की इस मुद्दे पर स्पष्ट राय है।
ममता सरकार से किया सवाल गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी रैली में सीएए के विरोध को लेकर ममता सरकार से सवाल किया था कि क्या मतुआ संप्रदाय के लाखों लोग आपके दुश्मन हैं? जिन्हें नागरिकता दिए जाने का आप विरोध कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा था कि हम बंगाल के लाखों मतुआ भाइयों को नागरिकता देकर रहेंगे। शाह के बयानों के बाद से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी सीएए को चुनावी मुद्दा बनाने को लेकर जरा भी संशय की स्थिति में नहीं है।