अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से शोक में डूबा उत्तराखंड, सरकारी कार्यालय व शिक्षण संस्थान रहेंगे बंद
देहरादून: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान से उत्तराखंड शोक में डूब गया। शासन ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। श्रद्धांजलि स्वरूप कल राज्य में सरकारी कार्यालय व शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद सूबे के तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया। आज शाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। वह 93 साल के थे। वाजपेयी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वाजपेयी को सांस लेने में परेशानी, यूरीन व किडनी में संक्रमण होने के कारण 11 जून को एम्स में भर्ती किया गया था। 15 अगस्त को उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उनके सम्मान में प्रदेश में शुक्रवार को सभी सरकारी कार्यालय, अर्द्ध सरकारी संस्थान और शिक्षण संस्थाएं बंद रहेंगे। अगले सात दिन प्रदेश में राष्ट्रीय शोक रहेगा। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा जारी किए गए आदेशों के तहत अगले सात दिन उत्तराखंड में जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराए जाते हैं, राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे। राष्ट्रीय शोक के दौरान कहीं कोई शासकीय मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। देहरादून में उत्तरांचल वैश्य अग्रवाल सभा ने आपात बैठक कर उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। महासचिव पीडी गुप्ता तथा संगठन सचिव योगेश अग्रवाल ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जिसके लिए शब्द भी निःशब्द हैं, ऐसे महान व्यक्ति शरीर से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वह सब के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। उनकी आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है।
यह सुनकर अटल जी चौंके और कहने लगे कि कहां-कहां है स्वामी जी उत्तरांचल के प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के पूर्व विशेष कार्याधिकारी योगेश अग्रवाल ने बताया कि हम 25 दिसम्बर 2006 को अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में उत्तरांचल के प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के साथ अटल जी के आवास पर पुष्पगुच्छ लेकर पहुंचे। वहीं सुषमा स्वराज, विनोद खन्ना, उमा भारती, शाहनवाज हुसैन, शिवराज सिंह चौहान, हेमा मालिनी आदि अनेक नेताओं की लंबी कतारें लगी थी। वृद्ध नित्यानंद स्वामी अधिक देर तक लाइन में खड़े नहीं हो सकते थे, वे कुछ परेशान हुए तो मैंने कहा कि आप कुछ मिनट तक प्रतीक्षा करो मैं कुछ व्यवस्था करता हूं। मौका देखकर मैंने(योगेश अग्रवाल) अटल जी के पास जाकर उनके कानों में कहा कि वो दूर सामने नित्यानंद स्वामी जी फूलों का गुलदस्ता लेकर खड़े। यह सुनकर अटल जी चौंके और कहने लगे कि कहां-कहां है स्वामी जी। कहकर अपने स्टाफ से स्वामी जी को अपने पास बुलाने को कहा, जिससे स्वामी जी ने अटल जी के पास आकर फूलों का गुलदस्ता भेंटकर जन्मदिवस की बधाई दी।
चंपावत में आए थे अटल बिहरी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जनवरी 1977 को सड़क मार्ग से टनकपुर से होते हुए चंपावत और लोहाघाट से पिथौरागढ गए। उन्होंने टनकपुर सिंचाई विभाग के डाक बंगले जगहों में, चंपावत मोटर स्टेशन और लोहाघाट के रामलीला मैदान में हुई सभाओं में उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरा। चंपावत में अमरनाथ वर्मा, श्याम नारायण पांडेय, जगदीश जोशी सहित कई नेताओं को सभी की याद अब भी ताजा है। लोहाघाट में रामलीला मैदान में हुई सभा की बागडोर भाजयुमा के तत्कालीन जिला महामंत्री और पूर्व विधायक कृष्ण चंद्र पुनेठा ने संभाली थी। जनसभा के बाद वाजपेयी स्वामी विवेकानंद पुस्तकालय पहुंचे। बताते हैं कि वाजपेयी ने मायावती आश्रम में आने का वायदा किया था, लेकिन तमाम व्यस्तताओं के चलते वे यहां कभी आ नहीं सके।
बागेश्वर में पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर शोक की लहर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर जिले में शोक की लहर है। सभी पाटियों के नेताओं व संगठनों ने पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर दुख व्यक्त किया है। भाजपा जिलाध्यक्ष शेर सिंह गढ़िया ने कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महान नेता के तौर पर याद किए जाएंगे। विधायक चंदन राम दास ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के निधन से देश को अपूर्णनीय क्षति हुई है। जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी पक्ष व विपक्ष को साथ लेकर चलने वाले व्यक्तित्व थे। इसलिए वह सभी पार्टियों के चहेते रहे।