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आज 13 साल बाद ऐसा संयोग बना जब ‘दुर्लभ पूर्ण चंद्रमा’ दिखाई दिया इसे फुल हार्वेस्‍ट मून (Full Harvest Moon) भी कहते हैं

नई दिल्‍ली। आज यानी 13 सितंबर को 13 साल बाद ऐसा संयोग बना जब ‘दुर्लभ पूर्ण चंद्रमा’ दिखाई दिया। इसे फुल हार्वेस्‍ट मून (Full Harvest Moon) भी कहते हैं। अमूमन चंद्रमा सूर्यास्‍त होने के 50 मिनट बाद उगता है लेकिन शुक्रवार को सूर्य के अस्‍त होने के ठीक पांच मिनट बाद ही चंद्रमा पूर्व में दिखाई दिया। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि लोग इसे देख सकते हैं लेकिन किवदंतियों में इसे ‘भयावह’ माना गया है। आइये बतातें है फुल हार्वेस्‍ट मून (Full Harvest Moon) के बारे में वह सब कुछ जिसे आप जरूर जानना चाहेंगे…

नेटिव अमेरिकियों ने दिया था नाम   इस पूर्ण चंद्रमा को फुल हार्वेस्‍ट मून (Full Harvest Moon) नाम नेटिव अमेरिकियों ने दिया था। दरअसल, यह चंद्रमा साधारण चंद्र उदय की अपेक्षा जल्‍द चांदनी बिखेर देता है। चूंकि, बीते जमाने में यह चंद्रमा उनकी गर्मियों में उगाई जाने वाली फसलों की कटाई और मड़ाई में मददगाह होता था इसलिए इसे पश्चिम में फुल हार्वेस्‍ट मून नाम दिया गया। इसे कॉर्न मून (corn moon) के नाम से भी जानते हैं क्‍योंकि यह समय ऐसा होता है जब किसान अपने मक्‍के की फसल की कटाई करते हैं।

काफी छोटा दिखा चांद  यह अन्‍य फुल मून की अपेक्षा काफी छोटा दिखाई दिया। ऐसा इसलिए क्‍योंकि यह अपनी कक्षा के दूरस्‍थ बिंदु पर मौजूद था। अमूमन माइक्रो मून (micromoon) सुपर मून (Super Moons) की तुलना में 14 फीसद छोटा और 30 फीसद कम चमकीला दिखाई दिया। ऐसा इसलिए क्‍योंकि यह धरती से 251,655 मील की दूरी पर होता है। लेकिन फुल हार्वेस्‍ट मून माइक्रो मून से भी दूर (816 मील) मौजूद होगा। इससे उलट सुपर मून माइक्रो मून से 2,039 मील धरती के नजदीक होता है।

कब दिखेगा फुल हार्वेस्‍ट मून  सितंबर में दिखाई देने वाले इस ‘दुर्लभ पूर्ण चंद्रमा’ को शरत चंद्रमा भी कहते हैं। इससे पहले जनवरी 2006 में शुक्रवार को फुल मून (Full Moon) दिखाई दिया था। अब 13 साल बाद फिर मई 2033 में ऐसा संयोग बनेगा। हालांकि, फुल हार्वेस्‍ट मून (Full Harvest Moon) के बारे में अनुमान है कि दोबारा 13 अगस्‍त 2049 को यह दुर्लभ संयोग बनेगा।

900 मिलियन डॉलर का होगा नुकसान  उत्तरी कैरोलिना के एशविले में स्‍ट्रेस मैनेजमेंट सेंटर एवं फोबिया इंस्‍टीट्यूट (Stress Management Center and Phobia Institute) के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में अनुमानित 17 से 21 मिलियन लोग इस दिन से डरते हैं। यह किवदंती इसे इतिहास में सबसे अधिक भयभीत दिन बनाती है। अमेरिकी लोगों में इस दिन को लेकर डर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ लोग डर से आज के दिन व्यापार करने, फ्लाइट पर जाने जैसी सामान्य दिनचर्या से बचते हैं। अनुमान है कि दुनिया में आज के दिन 800 से 900 मिलियन डॉलर (80 से 90 करोड़ डॉलर) तक का व्यापार नहीं होता है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इसे महज खगोलीय घटना बताया है।

खगोलीय घटनाओं के लिए खास है यह साल   यह साल अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए बेहद खास रहेगा। इस साल के अंत में 26 दिसंबर को तीसरा सूर्य ग्रहण पड़ेगा। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 06 जनवरी को जबकि दूसरा 02 जुलाई को लगा था। साल का तीसरा सूर्य ग्रहण 21 जनवरी को लगा था। साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण जबकि दूसरा पांच जून को लगेगा। अगले साल का तीसरा चंद्रग्रहण 05 जुलाई को जबकि चौथा 30 नवंबर को लगेगा। अगले साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को जबकि दूसरा 14 दिसंबर को लगेगा। अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को दिखेगा, जबकि इससे पहले 27 जुलाई 2018 को पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखा था।

इंसान की सेहत पर असर डालता है चंद्रमा  सामान्‍य तौर पर चंद्रमा का इंसान की सेहत से कोई रिश्‍ता नजर नहीं आता है। लेकिन वैज्ञानिक अध्‍ययनों में पाया गया है कि चंद्रमा इंसान की सेहत पर भी असर डालता है। दरअसल, पूर्ण‍िमा के दिन चंद्रमा का गुरुत्‍वाकर्षण बढ़ जाता है। इससे व्‍यक्ति का मूड प्रभावित होता है। इंसान कभी डिप्रेशन फील करता है तो कभी उसे गुस्‍सा आता है। कुछ लोग बेचैनी भी महसूस करते हैं। यही नहीं कुछ लोगों को सिरदर्द की समस्‍या में बढ़ोतरी जैसी समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। यही नहीं पूर्णिमा से पहले और बाद के तीन से चार दिनों तक अपेक्षाकृत नींद कम आने की समस्‍या भी होती है।

भारत में पितृपक्ष हो रहा शुरू, न करें ये गलतियां  यूरोपिय देशों में भले ही फुल हार्वेस्‍ट मून को लेकर डराने वाली कहानियां क्‍यों न हों, यह संयोग ही है कि भारत में पूर्णिमा के खत्‍म होने के साथ ही पितृपक्ष शुरू हो रहा है। इस पक्ष में पितरों की मुक्ति और उन्हें ऊर्जा देने के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, शाम सात बजकर 35 मिनट पर पूर्णिमा का प्रारंभ होगी जो 14 सितंबर दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर खत्‍म होगी। श्राद्ध तर्पण पिंडदान का समय दोपहर का होता है। इसलिए कल से तर्पण और पिंडदान के कार्य शुरू होंगे। पितृपक्ष में मांसाहारी भोजन जैसे मांस, मछली, अंडा, शराब के सेवन से परहेज करना चाहिए। परिवार में आपसी कलह से भी बचना चाहिये। इस पक्ष में यदि कोई भोजन पानी मांगने आए तो उसे खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए।

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