मृत समझ लिए गए बच्चे को जीवनदान देने वाली मनिता की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में की
जमशेदपुर। झारखंड के नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचल में सहिया कार्यकर्ता मनिता दीदी की सूझबूझ और समर्पित कार्यशैली चर्चा में है। मृत समझ लिए गए बच्चे को जीवनदान देने वाली मनिता की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ‘मन की बात’ में कर चुके हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ने एक लाख का इनाम दिया है। नक्सलियों के गढ़ में रहकर सेवाकार्य की बदौलत मनिता दीदी अब देश की रोल मॉडल बन गई हैं। इनकी कहानी सुनकर प्रधानमंत्री मोदी भी दंग रह गए थे। पीएम ने मनिता को देशभर के सामुदायिक कार्यकर्ताओं का प्रेरणास्रोत करार दिया। बीते वर्ष 11 सिंतबर को प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में मनिता से मुखातिब हुए थे। उन्होंने मनिता की बात सुनी और उनकी तारीफ की।
उरमाल की हैं मनिता झारखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम को समुदाय से जोडऩे तथा समुदाय को स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल कराने में सहिया कार्यकर्ता की अहम भूमिका है। सहिया कार्यकर्ता ग्राम सभा की स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण समिति के सदस्यों द्वारा चयनित स्वैच्छिक कार्यकर्ता है, जो समुदाय के विभिन्न वर्ग, जाति व उम्र के लोगों को स्वास्थ्य सहित अन्य सामाजिक विषयों पर जागरूक करने व स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लेने को प्रेरित करती है। इसमें सहायता करती है। सहिया को कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के उरमाल गांव की निवासी मनिता देवी भी सहिया हैं।
कई जच्चा-बच्चा की बचा चुकी है जान मनिता दीदी गांव की महिलाओं की सेहत के लिए जान की बाजी लगा चुकी हैं। अपनी सक्रियता से कई जच्चा-बच्चा की जान बचा चुकी हैं। ऐसी ही एक घटना 27 जुलाई 2018 की है। गांव की मनीषा सिंह मुंडा ने एक बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद वह नहीं रोया। सांसें बेहद कमजोर थीं। शरीर में कोई हलचल नहीं थी। परिजन नवजात को मरा समझ बैठे। दफनाने की तैयारी में जुट गए। तभी रात दो बजे मनिता को इस बात की जानकारी मिली। बिना डरे आधी रात वह मनीषा सिंह मुंडा के घर पर पहुंच गईं। नवजात को छूकर देखा तो पता चला कि हल्की सांसें चल रही हैं। मुंह व नाक में गंदा पानी जमा है। मनिता ने बिना देर किए पाइप के सहारे गंदा पानी निकाला। नवजात की छाती को हल्के हाथों से दबाना शुरू कर दिया। कुछ देर में सांसें सामान्य होने लगीं। इसी बीच नवजात भी रो उठा। घर भर की आंखें चमक उठीं। खुशियां घर में लौट आईं।
दिव्यांग बेटे के दर्द ने बनाया सहिया मनिता देवी के तीन बच्चे हैं। सबसे बड़ा पुत्र दिव्यांग है। कुछ बोल-सुन नहीं पाता। सिर्फ टुकुर-टुकुर देखता है। उसे देख कर मनिता की आंखें भर उठती हैं। कहती हैं, काश अगर मुझे भी गर्भ के दौरान नियमित स्वास्थ्य जांच और पौष्टिक भोजन मिला होता तो शायद बेटा दिव्यांग नहीं होता। उसी समय मन में बैठ गया कि सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारकर गरीबों को दिव्यांग होने व मरने से बचाना है। वर्ष 2006 में ग्रामीणों ने सहिया चुना। इसके बाद मनिता स्वास्थ्य सेवा में जुट गईं।
ये कहती मनिता प्रधानमंत्री से शाबासी मिलने के बाद मैं उत्साहित हूं। ऊर्जा से भर उठी हूं। सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रधानमंत्री मुझसे सीधी बात करेंगे। हौसला बढ़ाएंगे। इस बीच, सीएम रघुवर दास ने ट्वीट में लिखा है कि सहिया बहन मनिता पूरे देश के लिए मिसाल हैं। आप यूं ही जनसेवा में जुटी रहें, सरकार आपकी हर मदद के लिए साथ है।