पाकिस्तान ने अपने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 27 मछुआरों समेत 30 भारतीय कैदियों को किया रिहा
जयपुर। जयपुर की मखनी देवी के लिए सोमवार को तीज का त्योहार खास बन गया। पाकिस्तान ने अपने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जिन 27 मछुआरों समेत 30 भारतीय कैदियों को रिहा किया है, उनमें उनके पति गजानंद शर्मा भी हैं। लेकिन, लड़खड़ाते कदमों से भारत की धरती पर कदम रखते गजानंद की स्थिति टीवी पर देख वह व्यथित भी हैं। नाराजगी जताते हुए वे कहती हैं -‘मेरे हट्टे-कट्टे पति का बहुत बुरा हाल कर दिया पाकिस्तान ने। ऐसे पाकिस्तान का सत्यानाश हो जाएगा।’ गौरतलब है कि इस वर्ष मई में गजानंद शर्मा के पाकिस्तान जेल में होने की सूचना मिलने के बाद से मखनी देवी परिवार के साथ उनकी रिहाई के लिए नेताओं से लेकर अधिकारियों तक से मिल रही थीं। बीते सप्ताह दिल्ली में उन्होंने विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह से मुलाकात की तो उन्हें पता चला कि गजानंद 13 अगस्त को भारत आ जाएंगे। हालांकि, औपचारिकताएं पूरी होने के बाद गजानंद को जयपुर पहुंचने में अभी एक-दो दिन और लग सकते हैं।
छलक पड़े खुशी के आंसू सोमवार को उनका पूरा परिवार सुबह से उस घड़ी का इंतजार कर रहा था, जब गजानंद की रिहाई होती। जैसे ही टीवी पर उनके भारत प्रवेश की तस्वीर आई, पूरे परिवार में खुशी का माहौल छा गया। परिजनों के आंसू निकल पड़े और सभी ने तीज के मौके पर मखनी देवी को घेवर खिलाकर खुशी मनाई। मखनी देवी ने भी लहरिए की साड़ी पहनी हुई थी, जो राजस्थान में तीज के मौके पर सुहागनें पहनती हैं।
बहुत कष्ट में गुजारे 36 साल मखनी देवी ने गजानंद के आने से पहले कहा था-‘मुझे शांति तभी मिलेगी, जब वह दिल्ली पहुंच जाएंगे और सिंदूर भी तभी लगाऊंगी जब वो घर लौट आएंगे।’ ऐसे में मखनी देवी सोमवार सुबह से ही पूजा-अर्चना कर पति के सुरक्षित घर लौटने की प्रार्थना कर रही थीं। गजानंद को टीवी पर देखने के बाद मखनी देवी ने कहा-‘मैंने ये 36 साल बहुत कष्ट में गुजारे हैं, लेकिन आज मैं बहुत खुश हूं, बस दुख इतना ही है कि पति की स्थिति अच्छी नही दिख रही है।’
काम की तलाश में निकले और फिर लंबा इंतजार गजानंद काम की तलाश में निकले थे और फिर लौटे ही नहीं। मखनी देवी ने बताया कि उन्होंने चार-पांच साल तो बहुत ढूंढ़ा, लेकिन फिर हिम्मत हार गई। जब पति गए तो बड़ा बेटा 15 और छोटा 12 साल का था। उन्हें अस्पताल में नौकरी कर पाला है।
मंत्रालय के पत्र के साथ आया उम्मीदों का संदेश तीन माह पहले उनके पैतृक गांव सामोद के थाने में गृह मंत्रालय का एक पत्र पहुंचा, जिसमें गजानंद के सामोद निवासी होने की तस्दीक करने को कहा गया था। तब घर वालों को पता चला कि गजानंद जिंदा हैं, लेकिन पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। मखनी देवी ने बताया कि सूचना के वक्त वह शिवजी की पूजा कर रही थीं। बेटे मुकेश ने फोन कर बताया कि पिताजी मिल गए हैं..तो यकायक यकीन नहीं हुआ। उन्होंने पूछा कि क्या घर आ गए तो बेटे ने कहा कि नहीं, पाकिस्तान की जेल में हैं। मखनी देवी ने बताया कि पाकिस्तान का नाम सुनते ही उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह बेहोश जैसी हो गई। लगा कि जिंदा तो हैं, पर लौट पाएंगे या नहीं। बाद में नेताओं व अधिकारियों से मिल कर उनको छुड़ाने मुहिम में जुट गई।