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110 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन साल की मासूम बच्ची सना को बचा लिया गया

मुंगेर। करीब 28 घंटे से 110 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन साल की मासूम बच्ची सना को बचा लिया गया है। 28 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार एनडीआरएफ की टीम सना को लेकर बोरवेल से बाहर आयी।एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने उसे बचा लिया। सना के निकलने की खबर मिलते ही चारों ओर खुशी का माहौल है। उसके बोरवेल से निकलने से पहले मौके पर मौजूद जवानों ने सुरक्षा घेरा बना लिया था ताकि लोगों की भीड़ से परेशानी ना हो। वहां बीच-बीच में बारिश भी हो रही है। रिमझिम पड़ती बूंदों के बावजूद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के राहत और बचाव कार्य जारी रहा और फिर सफलता मिली। बच्ची को निकालने के साथ ही एंबुलेंस से उसे अस्पताल ले जाया जाएगा। इसके लिए पुलिस की टीम ने घटनास्थल को चारों ओर से घेर लिया है। लोगों की भीड़ काफी संख्या में मौजूद है। इससे पहले बच्ची को बचाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने हैंड डिगिंग शुरू कर दिया था, ये तब किया जाता है जब टीम अपनी मंजिल पर पहुंच चुकी होती है। घटनास्थल पर मेडिकल की टीम के साथ ही पुलिस की टीम भी अलर्ट रही । बोरवेल में फंसी बच्ची 28 घंटे तक जिंदगी के लिए संघर्ष करती रही। मौके पर मौजूद डॉक्टरों की टीम लगातार बच्ची की एक-एक हरकत पर नजर बनाए थी। उसे लगातार पाइप से अॉक्सीजन दिया जा रहा था। घटना मंगलवार की शाम चार बजे की है। बुधवार की सुबह बोरवेल से उसकी आवाज नहीं आ रही थी। लेकिन मंगलवार रात तक उसकी अंदर से ‘पापा…पापा’ की आवाज पूरे माहौल को गमगीन कर रही थी।

कल शाम चार बजे गिर गई थी बोरवेल में  कल से ही पूरा शहर उसकी जिंदगी के लिए दुआ कर रहा था। उसे सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन और स्थानीय लोगों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। घटनास्थल पर एनडीआरएफ की टीम आज शाम पहुंची और रेस्क्यू अॉपरेशन की कमान संभाल ली। इससे पहले एसडीआरएफ की टीम ने जिला प्रशसन के सहयोग से सारे ऑपरेशन को अपने हाथों में ले लिया था।रेस्क्यू के लिए मौके पर एल शेप में गड्ढा खोदा गया।एसडीआरएफ के इंस्पेक्टर संजीत ने पल-पल की जानकारी दी थी। बोरवेल में गिरी बच्ची सना की मां का रो-रोकर बुरा हाल रहा। मां लगातार बच्ची को बोरवेल के बाहर से आवाज दे रही थी।

दुआओं में उठे हजारों हाथ बच्ची की सकुशल बरामदगी के लिये दुआओं का भी दौर लगातार जारी रहा। पटना समेत राज्य के अलग-अलग इलाकों से सना के लिये पूजा-पाठ और हवन किया जा रहा था।

अंतिम चरण में खुदाई घटना मुंगेर जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र के मुर्गियाचक मुहल्ले की है। मंगलवार अपराह्न तीन बजे खेलने के दौरान सना बोरवेल में गिर गिर गई। लाइट और कैमरे के जरिये निकाली गई फुटेज में पता चला कि वह 35 फीट की गहराई में बोरिंग के लिए डाले गए प्लास्टिक के पाइप में फंसी है।

वहां तक पहुंचने के लिए प्रशासन ने बोरवेल के समानांतर चैनल बनवाया। दो जेसीबी और दो पोकलेन की सहायता से खुदाई की गई थी। देर रात की बारिश के बाद इस काम में सामान्‍य मजदूर भी लगाए गए थे। उसे सकुशल बाहर निकालने के लिए मंगलवार को प्रमंडलीय आयुक्त पंकज कुमार पाल ने गृह सचिव और आपदा विभाग के प्रधान सचिव से बात की थी। दानापुर आर्मी कैंप को भी सूचित किया गया। रांची से भी विशेषज्ञों की टीम को आने के लिए कहा गया। शाम से ही एसडीआरएफ, आइटीसी और रेलवे इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञों की टीम कमान संभाले हुई थी। स्थानीय लोगों ने बच्ची को बचाने के लिए ऑक्सीजन मास्क और सेफ्टी बेल्ट के साथ एक बालक को बोरवेल में उतारने की इजाजत मांगी लेकिन प्रशासन ने इनकार कर दिया।
पटना से मांगी जाती रही पल-पल की जानकारी राज्य सरकार ने भी घटना को गंभीरता से लिया  और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी घटना की पल-पल जानकारी ले रहे थे। पटना से लगातार अधिकारियों से बचाव कार्य की बाबत जानकारी ली जाती रही । मंत्री शैलेश कुमार ने कहा कि उन्होंने प्रमंडलीय आयुक्त और प्रभारी डीएम से बात की। राज्य सरकार इस मामले में बच्चों के परिजन के साथ है। बचाव कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं हो, इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई थी।

नाना के घर आई थी सना बोरवेल में गिरी सना मुंगेर के नोट्रेडेम एकेडमी की मान्टेसरी की छात्रा है। 10 फरवरी 2015 को जन्मी सना बोरवेल में जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ती रही । वहीं, बाहर उसके लिए हजारों लोग दुआएं कर रहे थे। दो दिन पहले ही वह अपने पिता नचिकेता के साथ नाना उमेश नंदन साह के घर आई थी। मोहल्ले के उदय शंकर प्रसाद के घर हो रहे बोरिंग के लिए बोरवेल खोदा गया था। मंगलवार की दोपहर खेलने के क्रम में वह बोरवेल में गिर गई थी।
बोरवेल खुदाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन  बताया जा रहा है कि इस बोरवेल की खुदाई में प्रावधानों की अवहेलना की गई है। विदित हो कि बोरवेल में बच्‍चों के गिरने की कई घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने मार्च 2009 में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के के प्रावधान बनाने के लिए एक कमेटी गठित की। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर 2010 में संज्ञान लिया। कोर्ट ने सभी बेकार पड़े खुले बोरवेल को ढ़कने तथा चालू बोरवेल को घेरने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी मॉनिटरिंग का दायित्‍व पंचायती राज संस्‍थाओं, नगर निकायों जथा लोक स्‍वास्‍थ्‍य अभियंत्रण विभाग को दिया प्रावधानों के अनुसार बोरवेल ऑपरेटरों को संबंधित क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट कार्यालय में निबंधन कराना अनिवार्य है। बोरवेल की खुदाई के दौरान वाहन पर इस निबंधन संख्‍या का जिक्र करना अनिवार्य है। ऑपरेटर को 15 दिनों के अंदर खोद गए बोरवेल की संख्‍या, गहराई व आकार की जानकारी प्रशासन को देना भी अनिवार्य है। खुदाई के बाद बोरवेल ऑपरेटर तथा जमीन मालिक काे यह संयुक्‍त घोषणा पत्र देना है कि काम पूरा करने में प्रावधानों को पालन किया गया।

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