सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की धारा 497 को अपराध के दायरे से बाहर करने का आदेश दिया
नई दिल्ली । न्यायपालिका के इतिहास में शायद ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब एक जज बेटे ने अपने ही जज पिता के फैसले को बदल दिया हो। सुप्रीम कोर्ट में संविधान की धारा 497 को अपराध के दायरे से बाहर करने का आदेश दिया है। मामले पर सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने पांच सदस्यों की संवैधानिक बेंच का गठन किया था और इस बेंच में एक जज डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने सर्वानुमति से गुरुवार को स्त्री और पुरुष के विवाहेतर संबंधों से जुड़ी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 497 को अपराध के दायरे से बाहर करने का आदेश दिया है यानि अब से विवाहेतर संबंध अपराध नहीं है। इससे पहले 27 मई 1985 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस और डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ की बेंच ने धारा 497 को सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट के जज डीवाई चंद्रचूड़ ने 33 साल बाद जज पिता वाईवी चंद्रचूड़ का फैसला बदल दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के साथ इस बेंच में जस्टिस आरएस पाठक और एएन सेन भी मौजूद थे, जिन्होंने धारा 497 को वैध करार दिया था। लेकिन अब जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जिस बेंच का हिस्सा है उसने धारा 497 को खत्म कर दिया है। इससे साथ ही आपको बता दें कि इससे पहले भी जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पिता के एक फैसले को पलट चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इससे पहले आपातकाल के समय में एडीएम जबलपुर के प्रसिद्ध फैसले को पलटा था और इसके करीब एक साल बाद वह फिर से ऐसा करने वाले हैं।