प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहेः अभय दुबे
देहरादून। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा कि देश में बढ़ती महंगाई, उच्चतम बेरोजगारी और कुशासन की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे का दंश झेल रहे देशवासियों के साथ कांग्रेस पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। लेकिन एक जिम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते हम भाजपाई सत्ता के मित्र पूंजीपतियों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट और प्रधानमंत्री से संबंधित इस पूरे अडानी महाघोटाले में हो रहे घोटालों से भी चिंतित हैं। अभय दुबे ने कहा कि भाजपा सरकार ने राहुल गांधी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के अंशों को बेशक संसदीय कार्यवाही से हटा दिया हो लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं कि संसद में क्या हो रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है और प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं।
कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, भारत की संपत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है और इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी हैं। भारत के लोग बहुत बुद्धिमान हैं और वे मोदी जी और उनके मित्र पूंजीपतियों के बीच संपूर्ण पारस्परिक तालमेल को समझ सकते हैं। वे जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वे इस गंभीर अंतरराष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों हैं?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी व्यक्ति को दुनिया के अमीरों की सूची में 609वें से दूसरे स्थान पर पहुँचने के खिलाफ नहीं है। लेकिन हम निस्संदेह सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के खिलाफ हैं क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं। विशेष तौर पर हम टैक्स हेवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक खास व्यक्ति द्वारा हमारी अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एकाधिपत्य स्थापित करने के खिलाफ हैं। उन्होंनें कहा कि कंाग्रेस पार्टी जानना चाहती हैं कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जाँच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है।
उन्होनें कहा कि अडानी समूह के खलिाफ स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद शेयरों की कीमतों में गिरावट से उन लाखों निवेशकों को नुकसान पहुँचा जिन्होंने कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी समूह के शेयरों में निवेश किया था। 24 जनवरी और 15 फरवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में ₹10,50,000 करोड़ रु. की गिरावट आई। 19 जुलाई, 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जाँच के दायरे में है। फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया।
उन्होंने कहा कि एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसंबर, 2022 को 83,000 करोड़ रुपए था जो 15 फरवरी, 2023 को घटकर 39,000 करोड़ रुपए रह गया, यानि 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी-धारकों की बचत के मूल्य में 44,000 करोड़ रुपए की कमी। शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राइजेज के फॉलो-आन पब्लिक ऑफर में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए निवेश करने के लिए मजबूर किया। उन्होनंे बताया कि 2001 के केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था कि शेयर बाजार में हेरफेर करने में अडानी समूह के प्रमोटरों ने साथ दिया था। समूह पर मौजूदा आरोपों से यह चिंताजनक रूप से समान है।
जाँच करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल के ‘मित्र काल’ बजट में अडानी समूह को और भी अवसर प्रदान कर दिए। पत्रकार वार्ता में मुख्य रूप से उपाध्यक्ष (संगठन व प्रशासन) मथुरा दत्त जोशी, मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह, याकुब सिद्धिकि, महेन्द्र नेगी गुरूजी, राजेश चमोली, शीशपाल बिष्ट सम्मलित रहे।