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आईआईपी के 60वें स्थापना दिवस पर आभासी वेब-संगोष्ठी का आयोजन 

देहरादून। सीएसआईआर-आईआईपी देहरादून में संस्थान का 60वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर कोविड 19 के कारण चल रहे लॉकडाउन का पालन करते हुए एक आभासी वेब-संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका फेसबुक पर भी लाइव प्रसारण किया गया। सर्वप्रथम भारत रत्न डॉ  भीमराव अंबेडकर जी को स्मरण करते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गई। तदुपरान्त आभासी वेब-संगोष्ठी प्रारम्भ हुई। इस संगोष्ठी में दो तकनीकी सत्र रखे गए थे, जिनमें कुल ग्यारह वैज्ञानिकों ने विभिन्न तकनीकी विषयों पर व्याख्यान दिए व प्रस्तुति दी और इस आभासी वेब-संगोष्ठी में जुड़े श्रोताओं दर्शकों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
इस आभासी वेब-संगोष्ठी के प्रारम्भ में संस्थान के निदेशक डॉ. अंजन रे ने संस्थान के गौरवशाली इतिहास तथा वर्तमान अनुसंधान गतिविधियों और उल्लेखनीय उपलब्धियों और कोविड-19 के विरुद्ध जंग में संस्थान के योगदान के बारे में बताते हुए कहा कि इस हीरक जयंती वर्ष में राष्ट्र के प्रति हमारे दायित्व और भी बढ़ जाते हैं। उन्होंने महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे का इस आभासी वेब-संगोष्ठी में संस्थान की ओर से हार्दिक स्वागत किया। उन्हांेने इस आभासी वेब-संगोष्ठी से जुड़े आईआईपी के पूर्व निदेशकों डॉ आर कृष्णा, डॉ सुधीर सिंहल, डॉ प्रसाद राव, तथा डॉ. एम ओ गर्ग तथा सभी प्रतिभागियोंध्संस्थान के सभी अधिकारियोंध्कर्मचारियों  जो अपने-अपने घरों व अलग-अलग स्थान से ऑनलाइन इस आभासी वेब-संगोष्ठी में जुड़े थे, का भी हार्दिक स्वागत किया। तदुपरान्त उन्होंने महानिदेशक डॉ शेखर सी माँडे का परिचय देते हुए उन्हें अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया। डॉ. शेखर सी मांडे, महानिदेशक, सीएसआईआर ने सभी को डॉ भीमराव अंबेडकर-जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए अपना वक्तव्य प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि यह कितना सुखद संयोग है कि आईआईपी का स्थापना दिवस भारत के युगपुरुष के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होने आईआई पी के गठन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए,संस्थान के द्वारा अब तक किए गए कार्यों तथा कोविड 19 में किए जा रहे सहयोग कार्य की सराहना की।
महानिदेशक के सम्बोधन के बाद इस आभासी वेब-संगोष्ठी में सीएसआईआर अध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के देशवासियों को सम्बोधन को सुनने के उपरांत-प्रथम तकनीकी सत्र को प्रारम्भ किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अरुणब दत्ता, पूर्व प्रोफेसर, केंद्रीय विश्विद्यालय झारखंड तथा पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, आईआईपी देहरादून ने की। इस सत्र में शोधकर्ता सआरफीन इमाम, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार गुप्ता, डॉ किशोर नाट्टे, वैज्ञानिक डॉ प्रणबदास, डॉ सी वी प्रमोद तथा डॉ प्रेम लामा ने उनके द्वारा किए जा रहे विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान पर प्रस्तुति दी। दूसरे सत्र की अध्यक्षता डॉ. श्रीकान्त नानोटी, पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, आईआईपी ने की। इस सत्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक बी नायडू, डॉ अनूप ताथोड, डॉ आरती, डॉ शैलेश के सिंह ने तथा डॉ. मनीषा सहाय ने अपने शोधकार्यों की प्रस्तुति दी। समापन सत्र में संस्थान के मुख्य  वैज्ञानिक अमर जैन ने अपने लगभग 40 वर्षों के आई आई पी में अपने अनुभव को सबके साथ साझा किया तथा आईआईपी की विशिष्ट उपलब्धियों की भी जानकारी दी। उन्होने सभी युवा वैज्ञानिकों को संस्थान की इस गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने में अधिकाधिक योगदान देने की अपील की। इस अवसर पर संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ आर कृष्णा, डॉ सुधीर सिंहल तथा डॉ. एम ओ गर्ग ने भी आईआईपी के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। आईआईपी के निदेशक डॉ. अंजन रे के द्वारा सभी गणमान्य वक्ताओं, व्याख्याताओं, प्रतिभागियों तथा फेसबुक पर जुड़े श्रोताओं व दर्शकों और आयोजन सहोयगियों को धन्यवाद ज्ञापन के साथ यह आभासी वेब-संगोष्ठी सम्पन्न हुई। डॉ अनिल जैन, डॉ. ओपी खत्री तथा सूर्यदेव कुमार ने इस आभासी वेब-संगोष्ठी के आयोजन में मुख्य भूमिका निभाई।

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