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विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव अब मोदी सरकार की जीत के लिए करेगा ब्रहमास्त्र का काम

नई दिल्ली। विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव अब मोदी सरकार के लिए केवल जीत का सवाल नहीं है बल्कि इतनी बड़ी जीत का है कि विपक्ष नैतिक तौर पर हार मानने को मजबूर हो। हालांकि अभी भी कुछ दलों ने पत्ते नहीं खोले हैं और किसी के पक्ष में वोट देने या इससे दूर रहने का फैसला आखिरी वक्त पर लेंगे। बीजद, अन्नाद्रमुक, टीआरएस की ओर से भी कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की गई, लेकिन भाजपा दो तिहाई बहुमत की रणनीति पर काम कर रही है। गुरुवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में इसका खाका तैयार हुआ और पार्टी के विभिन्न नेता अलग अलग दलों से बात कर यह सुनिश्चित करने में लगे रहे कि राजग से बाहर खड़े दल भी वोटिंग के वक्त सरकार के साथ रहें। दरअसल, सरकार विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को बड़ा राजनीतिक हथियार बनाना चाहती है। कुछ उसी लिहाज से भाजपा के प्रतिनिधि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों पर हमला भी करेंगे जिसमें तुष्टीकरण, सांप्रदायिकता, गरीबोन्मुखी योजनाओं के क्रियान्वयन में कमी जैसे मुद्दे शामिल होंगे। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक का बड़ा श्रोतावर्ग भी होगा जिसके सामने सरकार की उपलब्धियां भी गिनाई जाएंगी। सरकार की जीत में कोई संशय नहीं है, लेकिन इसे बड़ी जीत बनाने और यह जताने की कोशिश होगी कि राजग और भावी राजग के सामने विपक्षी महागठबंधन की राजनीतिक हैसियत नहीं है। सूत्रों की मानी जाए तो इस क्रम में अन्नाद्रमुक को साथ जोड़ा गया है। उसके 37 सांसद अगर समर्थन में वोट देते हैं तो आंकड़ा 350 के पार जा सकता है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने इसका संकेत भी दे दिया।

उन्होंने कहा- ‘सोनिया जी का गणित कमजोर है। पहले भी एक बार उन्होंने 272 का दावा किया था, लेकिन वह पूरा नहीं हुआ। हाल बाद में राजग सरकार को जरूर 300 से ज्यादा वोट मिले थे। बीस साल बाद इतिहास खुद को दोहराएगा। हमें सुदूर दक्षिण, दक्षिण और पूर्व से भी समर्थन मिलेगा और लोग भौंचक होंगे।’ उन्होंने दलों के नाम का खुलासा नहीं किया लेकिन माना जा रहा है कि अन्नाद्रमुक से पार्टी को समर्थन का संकेत मिल गया है। गुरुवार देर शाम तक जो स्थिति है उसमें माना जा रहा है कि बीजद और टीआरएस वोटिंग से दूर रहेगी। जबकि शिवसेना ने थोड़े असमंजस के बाद आखिरकार समर्थन की घोषणा कर दी। दरअसल शिवसेना के रुख को लेकर असमंजस इसलिए खड़ा हुआ क्योंकि पार्टी की ओर से पहले तो सांसदों को व्हिप जारी कर सरकार को समर्थन देने की बात हुई लेकिन उनके सांसद इससे नजरअंदाज कर यह जताते रहे कि शुक्रवार को शाम तक पार्टी आलाकमान की ओर से संदेश आने के बाद ही फैसला लिया जाएगा। लेकिन देर शाम मुंबई से समर्थन की घोषणा कर दी गई। बताते हैं कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बात की थी। भाजपा से नाराज चल रहे शत्रुघ्न सिन्हा और सावित्री फुले भी सरकार के लिए वोट डालेंगे। दरअसल पार्टी वे व्हिप जारी किया है कि इसका उल्लंघन करने पर सदस्यता जा सकती है। कीर्ति आजाद विदेश में हैं और इस कारण वोटिंग के लिए मौजूद नहीं होंगे। संख्या को लेकर सतर्क भाजपा यह भी सुनिश्चित करेगी कि वलसाड और रामपुर के अस्वस्थ सांसद केसी पटेल को भी डाक्टरों की निगरानी में सदन लाया जाएगा। कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री ने एक साक्षात्कार में राजग के बड़े दायरे का संकेत दिया था। अविश्वास प्रस्ताव पर अगर अन्नाद्रमुक साथ खड़ी नजर आई तो सुदूर दक्षिण के लिए यह संकेत होगा। वहीं स्वाभिमान पक्ष, पीएमके जैसे छोटे दलों को भी साथ खड़ा किया जाएगा। यह महागठबंधन का जवाब होगा।

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