दून में दो दिवसीय आदि विज्ञान महोत्सव का हुआ उद्घाटन
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूरदर्शी नेतृत्व में, जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआई) द्वारा आयोजित दो दिवसीय आदि विज्ञान महोत्सव आज संस्थान के परिसर में शुरू हुआ। इस महोत्सव का उद्घाटन धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने छात्रों और गणमान्य व्यक्तियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी के बीच किया। इस कार्यक्रम में क्षेत्र भर के 18 जनजातीय विद्यालयों के 80 से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हुए, जिन्होंने विज्ञान के नवोन्मेषी मॉडल प्रदर्शित करे और उन्हें विज्ञान शो, पवेलियन कार्यशालाओं और प्रश्नोत्तरी जैसी आकर्षक गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक मंच प्रदान किया गया।
महोत्सव का एक प्रमुख आकर्षण इसके इंटरैक्टिव विज्ञान शो हैं, जिनमें साइंस ऑफ एयर, केमिकल मेनिया और साइंस इज मैजिक शामिल हैं, जिनका उद्देश्य छात्रों के लिए विज्ञान को रोचक और सुलभ बनाना है। सेंसर, रोबोटिक्स और गुरुत्वाकर्षण आधारित प्रदर्शनों जैसे अत्याधुनिक विज्ञान प्रदर्शनी स्टॉल ने भी ध्यान आकर्षित किया है। कार्यक्रम के दौरान, छात्रों को दूरबीन, मैजिक बॉक्स और एलईडी ग्रीटिंग कार्ड जैसे प्रैक्टिकल वैज्ञानिक उपकरण बनाने के लिए सशक्त बनाने के लिए कई कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही हैं। महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, अपर सचिव मुख्यमंत्री उत्तराखंड एस.एस. टोलिया ने इस पहल के लिए अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा आदि विज्ञान महोत्सव केवल विज्ञान का उत्सव नहीं है, बल्कि हमारे आदिवासी छात्रों की अपार क्षमता का प्रमाण है। रचनात्मकता को वैज्ञानिक अन्वेषण के साथ जोड़कर, हमारा लक्ष्य अगली पीढ़ी के नवोन्मेषकों और समस्या-समाधानकर्ताओं को प्रेरित करना है। इस मौके पर टीआरआई उत्तराखंड के समन्वयक राजीव कुमार सोलंकी ने कहा, ष्यह पहल आदिवासी छात्रों को अन्वेषण, नवाचार और अपनी वैज्ञानिक योग्यता विकसित करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करती है। उनकी भागीदारी और उत्साह उनकी अद्भुत क्षमताओं में हमारे विश्वास को दर्शाता है। महोत्सव में अपर निदेशक योगेंद्र रावत सहित कई प्रमुख गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे, जिन्होंने छात्रों के प्रयासों और आदिवासी समुदायों के बीच वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए टीआरआई के समर्पण की सराहना की। आदि विज्ञान महोत्सव कल भी जारी रहेगा, जिसमें कई संवादात्मक गतिविधियां होंगी, जिससे जनजातीय छात्रों में जिज्ञासा, रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जो युवा वैज्ञानिक मस्तिष्कों को पोषित करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।