सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा- कोई प्रभावित व्यक्ति नहीं आया, वकील याचिकाएं दाखिल करते हैं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान किराया न लेने और किसी को घर से न निकाले जाने का गृह मंत्रालय का आदेश लागू कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दीं।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने नहीं दिया कोई आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका पर विचार करने या कोई भी आदेश देने से इन्कार कर दिया। याचिका में कहा गया था कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह कोरोना लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों और छात्रों से किराया न लेने और उन्हें घर से बेदखल न किये जाने का आदेश प्रभावी ढंग से लागू कराए। साथ ही जहां घर से निकालने के मामले सामने आएं वहां जल्द कार्रवाई की जाए।
पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा- कोई प्रभावित व्यक्ति नहीं आया, वकील याचिकाएं दाखिल करते हैं पीठ ने ऐसी याचिकाओं पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वकील लगातार कोरोना मामलों में याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं। यहां कोई प्रभावित व्यक्ति नहीं आया है।
कोर्ट ने कहा- अगर किसी को दिक्कत है तो वह सरकार से शिकायत कर सकता है कोर्ट ने कहा कि सरकार ने एक हेल्पलाइन बनाई है अगर किसी को कोई दिक्कत है तो वह वहां शिकायत कर सकता है। कोर्ट सरकार का आदेश नहीं लागू करा सकता।
पीठ ने कहा- इस तरह की याचिकाओं पर कोर्ट जुर्माना लगा सकता है पीठ ने कहा अगर इस तरह की याचिकाएं दाखिल होती रहीं तो कोर्ट जुर्माना लगा सकता है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट ने पुलिसकर्मियों को पीपीई किट मुहैया कराने की मांग पर विचार से किया इन्कार सुप्रीम कोर्ट ने पुलिसकर्मियों को पीपीई सुरक्षा किट मुहैया कराने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ये सरकार के नीतिगत मसले हैं। इस समय सभी कठिन दौर से गुजर रहे हैं। वे अग्रिम पंक्ति में हैं और जो सबसे बेहतर हो सकता है किया जा रहा है। सरकार सुपर सरकार नहीं हो सकती। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उचित अथारिटी के समक्ष ज्ञापन देने की छूट देते हुए याचिका को वापस लेने की इजाजत दे दी। यह याचिका सेवानिवृत पुलिस अधिकारी भानुप्रताप बर्गे की ओर से दाखिल की गई थी जिसमें कुछ राज्यों में पुलिसकर्मियों के वेतन मे कटौती का भी मुद्दा उठाया गया था। मंगलवार को मामले पर सुनवाई करने के बाद न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और बीआर गवई की पीठ ने ये आदेश दिये।