Uttarakhand
शांतिकुज पहुंचे हजारों साधकों ने प्रथम दिन अपनी दिनचर्या की शुरुआत ध्यान-साधना के साथ हवन से की
हरिद्वार। शारदीय नवरात्रि आज से प्रारंभ हो गयी है। गंगा की गोद में बसे विश्व प्रसिद्ध गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में उपासना के महापर्व हेतु देश-विदेश से हजारों साधक पहुँचे। इस बार नवरात्र में कई योग एक साथ बने हैं। ऐसे में तीर्थ नगरी हरिद्वार के गंगा तट में साधना कर साधक अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए हजारों की संख्या में पहुँचे हैं। नौ दिन तक चलने वाले इस प्रायश्चित पर्व में साधक 24 हजार गायत्री मंत्र की उपासना के साथ व्यक्तित्व परिष्कार के विभिन्न आध्यात्मिक आयामों को अपने जीवन में उतारेंगे। नवरात्र के प्रथम दिन की शुरुआत ध्यान साधना से हुई। व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र ने साधकों को नवरात्र अनुष्ठान के संकल्प के साथ साधना की पृष्ठभूमि से अवगत कराया। प्रथम दिन साधकों ने अपनी दिनचर्या की शुरुआत ध्यान-साधना के साथ हवन से किया। पश्चात् उन्होंने अपनी साधना प्रारंभ की। वहीं शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयोजित सत्संग में साधकों को संबोधित करते हुए डॉ ओपी शर्मा ने कहा कि नवरात्र साधना का महापर्व है। इन नौ दिनों में मनोयोगपूर्वक की साधना से सिद्धि की प्राप्ति होती है और साधना से शुद्धि भी मिलती है। साधना एक तपश्चर्या है, जिसके बहुत सारे आयाम हैं, लेकिन सभी आयामों का लक्ष्य एक है-शुद्धि प्रदान करना, परिष्कृत करना। प्राप्त जानकारी के अनुसार शांतिकुंज में नवरात्र अनुष्ठान में साधकों की दिनचर्या में त्रिकाल संध्या का विशेष क्रम जोड़ा गया है। इसके अंतर्गत प्रातः, दोपहर व सायं को एक-एक घंटा समय निर्धारित किया गया है। जिसमें प्रायः सभी साधक सामूहिक रूप से साधना करते हैं। वहीं दूसरी ओर विश्व प्रसिद्ध नवचेतना के उद्घोषक व देवसंस्कृति विवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या विवि के युवाओं को नौ दिन तक मृत्युंजय सभागार में आयोजित होने वाली विशेष साधना व स्वाध्याय की कक्षा को संबोधित करेंगे।