शाह-ओवैसी ने इमरान को दी नसीहत

नई दिल्ली। पाकिस्तान के हुक्मरानों ने जब-जब भारत के अल्पसंख्यकों पर सियासत करनी चाही है तब-तब उन्हें ं उन्हीं के हाथों मात खानी पड़ी है। पाकिस्तान में भले ही सरकारों के चेहरे बदलते आए हैं लेकिन यह हकीकत है कि वहां की पूरी सियासत भारत के ही इर्द-गिर्द घूमती है। भारत से नफरत भले बयानों पर पाकिस्तान में कोई भी सरकार सत्ता में आती है और यदि वह इसमें कमी कर दे और गलती से भी दोस्ती की तरफ आगे बढ़े तो उसको बेदखल होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है। बहरहाल, पाकिस्तान को लेकर ताजा मामला इमरान खान के बयान को लेकर सामने आया है। इस बयान पर इमरान खान को उन्हीं लोगों ने खरी-खरी सुनाई है जिनपर वह सियासत करने लगे निकले थे। दरअसल, इस पूरे मामले को समझने के लिए कुछ दिन पहले का रुख करना होगा।
शाह का बयान आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर में फैली हिंसा और आगजनी की घटना को लेकर अफसोस जताया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था था कि इस दौरान मारे पुलिस इंस्पेक्टरपर भी सियासत की जा रही है। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि देश के माहौल को देखते हुए अपने बच्चों के लिए चिंतित हैं क्योंकि कल अगर भीड़ उन्हें घेर लेती है और पूछती है कि तुम हिन्दू हो या मुसलमान तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं होगा। मैंने अपने बच्चों को हिंदू या मुस्लिम की तरह नहीं पाला है। उन्होंने कहा, हमने पहले ही देखा है कि एक गाय की मौत आज के भारत में एक पुलिस अधिकारी की जान की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। इस बयान के बाद देश के अंदर जमकर बवाल मचा। यहां तक की नसीरुद्दीन शाह को अजमेर में जिस समारोह में शामिल होना था वहां पर मचे बवाल के कारण उनका नाम इसमें शामिल लोगों में से हटा लिया गया। इतना ही नहीं वहां पर पहुंचने के बाद विरोध कर रहे लोगों ने उन्हें गाड़ी से भी नहीं उतरने दिया। इस पूरी घटना के बाद नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि उनके बयान पर न मालूम क्यों उन्हें गद्दार समझ लिया गया है।
उलटा पड़ गया इमरान का दांव लेकिन हद तो तब हो गई जब इस घटना का फायदा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने हक में उठाना चाहा। उन्होंने इस पूरी घटना पर बयान दिया कि वह भारत को बताएंगे कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। इस पर शाह ने इमरान खान को जवाब दिया कि वह पहले अपना घर संभाले और भारत के अल्पसंख्यकों की चिंता छोड़ दें। इमरान खान के बयान पर भारत की तरफ से जवाब देने का दौर सिर्फ यही पर शांत नहीं हुआ। शाह के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारत में अल्संख्यकों की स्थिति पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक तो सिर्फ मुस्लिम ही वहां का राष्ट्रपति बन सकता है, जबकि भारत ने वंचित तबके से आने वाले कई राष्ट्रपतियों को देखा है।’ ओवैसी ने कहा है कि इमरान खान को समावेशी राजनीति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में भारत से सीखना चाहिए।
ये पहला मौका नहीं हालांकि ये पहला मौका नहीं है कि जब ओवैसी ने पाकिस्तान को इस तरह की खरी-खरी सुनाई है। पिछले वर्ष अप्रैल में लोकसभा की कार्रवाई में शामिल होते हुए सांसद ओवैसी ने कुलभूषण जाधव को लेकर भी पाकिस्तान को काफी खरी-खरी सुनाई थी। उन्होंने इस दौरान पाकिस्तान की कोर्ट को बनाना कोर्ट बताया था और गुजारिश की थी कि भारत सरकार जाधव को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करे। इसके अलावा अगस्त 2017 में ओवैसी ने पाकिस्तान के जियो टीवी पर एक लाइव डिबेट के दौरान भी पाकिस्तान को काफी कुछ कहा था। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान की सरकार और नेताओं को यहां तक कहा कि वह भारत के मुसलमानों की फिक्र न करें और अपने यहां की समस्याओं के समाधान की फिक्र करें। इस दौरान उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि भारत का मुसलमान पाकिस्तान के मुसलमानों से ज्यादा खुश है और हमेशा ही रहेगा।
आतंकिस्तान है पाकिस्तान भाजपा ने भी इमरान के बयान पर सख्त टिप्पणी की है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्र ने कहा कि ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकी सरगना को शरण देने वाला पाकिस्तान ‘आतंकिस्तान’ है। वह क्या भारत को इंसानियत का पाठ पढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इमरान खान कांग्रेस को जरूर बहुत कुछ सीखा सकते हैं, जो उन्हें फरिश्ता बताती है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पाकिस्तान के जन्म से ही वहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार होता रहा है। इमरान का बयान, ‘सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’जैसा है।