सट्टेबाज संजीव चावला के बाद अब विजय माल्या और नीरव मोदी को भी स्वदेश लाने की जगी आस
नई दिल्ली। सट्टेबाज संजीव चावला को लंदन से वापस भारत लाने के बाद अब उम्मीद जग रही है कि आने वाले दिनों में विजय माल्या और नीरव मोदी समेत भारत के दूसरे आरोपियों को स्वदेश लाया जा सकेगा। इनके अलावा इसी सूची में राजेश कपूर, टाइगर हनीफ, अतुल सिंह, राजकुमार पटेल और शायक सादिक का नाम भी शामिल है जिनकी वापसी का भी इंतजार वर्षों से भारत कर रहा है। इन सभी को भारत की अदालतों की तरफ से भगोड़ा करार दिया गया है। संजीव चावला की ही बात करें तो उससे जुड़ा मैच फिक्सिंग का मामला करीब 19 वर्ष पुराना है।
1992 से है भारत-ब्रिटेन में प्रर्त्यपण संधि संजीव चावला की वापसी को लेकर भारत सरकार ने कूटनीतिक और कानूनी दोनों ही तरह के प्रयास किए थे, जिन्हें अब जाकर सफलता मिली है। हालांकि इसी तरह के प्रयास सरकार द्वारा अन्य भगोड़े आरोपियों के लिए भी किए गए हैं लेकिन इनमें अभी सफलता हाथ नहीं लगी है। आपको बता दें कि भारत और ब्रिटेन के बीच वर्ष 1992 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी। लेकिन यह नवंबर 1993 से लागू हुई थी। इस संधि के तहत भारत में हत्या के आरोपी और बांग्लादेश के नागरिक को ब्रिटेन से प्रत्यर्पित किया गया था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि संजीव चावला समेत नीरव और माल्या ने भी खुद को भारत प्रत्यर्पित न करने को लेकर जो दलील दी थीं उनमें से एक भारतीय जेलों की खराब हालत भी है। लेकिन ब्रिटेन की कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया है।
क्या कहते हैं कानूनी जानकार दोनों देशों के बीच हुई इस संधि और आरोपियों की वापसी को लेकर संविधान विशेषज्ञ डॉक्टर सुभाष कश्यप का कहना है कि आरोपियों की वापसी में वो बिंदु खास मायने रखते हैं जो प्रत्यर्पण संधि का हिस्सा बने हैं। उनके मुताबिक हर देश से होने वाली प्रत्यर्पण संधि में प्रेसक्राइब प्रॉविजन और उनका प्रोसिजर अलग-अलग हो सकते हैं। यह दोनों देशों के बीच संबंधों पर भी काफी कुछ निर्भर करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रत्यर्पण संधि को लेकर कोई नियम-कायदे नहीं बनाए गए हैं। इसलिए ये संधि दो देशों के बीच आपसी राय-मशविरे से और दोनों के हितों को देखते हुए तैयार की जाती है। अब हम आपको उन लोगों के बारे में जानकारी दे देते हैं जो भारत से भागकर ब्रिटेन में जा छिपे हैं।
नीरव मोदी भारत की अदालत से भगोड़ा करार दिए गए नीरव मोदी पर कई बैंकों को 13 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। इस धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद पीएनबी के शेयर धड़ाम से गिर गए थे। इस इसी दौरान नीरव मोदी भारत से फरार हो गया और ब्रिटेन चला गया था। भारत सरकार की कोशिशों के बाद उसको 19 मार्च को लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद से ही नीरव मोदी वहां की वांड्सवर्थ जेल में बंंद है। नीरव की तरफ से लगाई गई जमानत याचिका को पहले वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की कोर्ट और जुलाई 2019 में हाईकोर्ट की तरफ से खारिज किया जा चुका है। कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए टिप्पणी की थी नीरव मोदी ब्रिटेन से भाग सकता है। इसलिए उसको जमानत नहीं दी जा सकती है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि नीरव मोदी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कोर्ट ने दिसंंबर 2019 को देश का दूसरा भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था। नीरव मोदी ने वर्ष 2010 में ‘नीरव मोदी ग्लोबल डायमंड ज्वेलरी हाउस’ की स्थापना की थी। इस कंपनी का हेडक्वार्टर मुंबई में है। नीरव मोदी ‘क्रिस्टी’ और ‘सोथेबीस कैटलॉग’ पत्रिकाओं के कवर पर पब्लिश होने वाला पहला भारतीय जौहरी हैं।
विजय माल्या विजय माल्या मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया था। इसके बाद मई 2016 में भारत सरकार ने ब्रिटेन सरकार से माल्या को प्रत्यर्पित करने की अपील की थी, जिसको ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि माल्या वैलिड पासपोर्ट के साथ ब्रिटेन में दाखिल हुए थे, लिहाजा उन्हें जबरन प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता है। मई में ही माल्या ने भारत वापसी से इनकार कर दिया था। जनवरी 2019 में धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बनी विशेष अदालत ने उसको भगोड़ा वित्तीय अपराधी घोषित किया था। इस कोर्ट द्वारा भगोड़ा करार दिया गया यह देश का पहला आरोपी है। यह फैसला कोर्ट ने ईडी की याचिका पर सुनाया था।शराब कारोबारी विजय माल्या पर 17 बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपये का गबन करने का आरोप है। आपको बता दें कि माल्या राज्य सभा से भी सांसद रह चुके हैं। भारत से फरार होकर फिलहाल लंदन में जीवन बिता रहे माल्या को प्रत्यर्पित करने की कोशिशों को उस वक्त सफलता मिली थी जब लंदन की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दिसंबर 2018 में उसे भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया था। इस आदेश को माल्या ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए 12 फरवरी को हाई कोर्ट ने माना कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ बेईमानी के पुख्ता सबूत हैं।