राजधानी-शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन का सफर सस्ता, आज से जारी होने वाली टिकटों में पांच फीसद जीएसटी वसूल किया जा रहा
अंबाला। खान-पान की वस्तुओं पर अब बुधवार से रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में एक समान जीएसटी लगेगा। ऐसा होने से शताब्दी, राजधानी और दुरंतो ट्रेन में सफर पांच से 30 रुपये तक सस्ता हो जाएगा। वहीं लंबे रूट की ट्रेनों में यात्रियों को 40 रुपये तक की बचत होगी। अब जीएसटी की दर पांच फीसद ही होगी।
इन ट्रेनों में खानपान होगा सस्ता, यात्रियों को 40 रुपये तक का होगा फायदा
बता दें कि जुलाई 2017 में लागू होने के बाद से ट्रेनों में यात्रियों से 18 फीसद जीएसटी वसूल किया जाता रहा है। स्टेशन पर पहले जीएसटी 12 फीसद था, जिसे घटाकर पांच फीसद कर दिया गया, लेकिन ट्रेनों में 18 फीसद ही वसूल किया जाता रहा। शताब्दी, राजधानी और दुरंतो में खान-पान का चार्ज भी टिकट में ही वसूल कर लिया जाता है, इसलिए यात्रियों को पता ही नहीं चला कि टिकट में कितना जीएसटी वसूल किया जा रहा है। इस पर संज्ञान लेते हुए 31 मार्च को वित्त मंत्रालय ने रेलवे से पत्राचार कर एक समान जीएसटी वसूलने का आदेश जारी कर दिया। वित्त मंत्रालय के स्पष्टीकरण के बाद भारतीय रेलवे खानपान व पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) के सीएमडी ने सभी जोन के महाप्रबंधक को इस बाबत आदेश जारी कर दिए। मगर चार माह तक की एडवांस टिकट बुक की सुविधा होने कारण 14 अगस्त तक की टिकट बुक हो चुकी थी। ऐसे में पांच फीसद जीएसटी को 15 अगस्त से लागू करने का फैसला लिया गया। इसके बाद रेलवे ने कंप्यूटर में फीड कर दिया, जिसके तहत आज से जारी होने वाली टिकटों में पांच फीसद जीएसटी वसूल किया जा रहा ।
यात्रियों से वसूली गई 13 फीसद अधिक जीएसटी की राशि लौटाने का विकल्प नहीं
ट्रेन और स्टेशन पर जीएसटी वसूलने में विरोधाभास को रेलवे ने खत्म जरूर कर दिया लेकिन इस मद में यात्रियों से वसूली गई 13 फीसद अधिक जीएसटी की राशि लौटाने का विकल्प रेलवे नहीं निकाल सका। देशभर में रेलवे में करीब 52 शताब्दी एक्सप्रेस विभिन्न स्टेशनों से होकर चलती हैं। इनमें प्रति ट्रेन 1088 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। इसी प्रकार 42 राजधानी एक्सप्रेस में भी कुल 47,292 और 52 दुरंतो में 905 प्रति ट्रेन यात्रियों के बैठने की क्षमता है। जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद इन सभी ट्रेनों में यात्रियों से 18 फीसद जीएसटी वसूल किया जाता रहा है। इन ट्रेनों में यदि 100 फीसद टिकट बुक हुई तो नौ माह यानी करीब 270 दिनों में 4 करोड़ 8 लाख 50 हजार 560 यात्रियों ने सफर किया।जीएसटी अंतर के तहत अगर 13 रुपये भी औसतन जोड़ा जाए तो यात्रियों से 52 करोड़ 97 लाख 57 हजार 280 रुपये अधिक वसूले गए हैं। इन्हीं ट्रेनों की तरह एक राज्य से दूसरे राज्य में भी सैकड़ों मेल एक्सप्रेस की पैंट्री कारों में 18 फीसद जीएसटी लिया जाता रहा है, जिसका हिसाब-किताब भी करोड़ों में बनता है। यह रुपया रेलवे लौटाने का विकल्प नहीं निकाल सका।