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किसान आंदोलन की आड़ में देश व मोदी विरोधियों ने हाथ मिला लिएः भसीन

देहरादून। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसान आंदोलन के नाम पर हुई अराजकता से फिर सिद्ध हो गया है कि किसानों की आड़ में राष्ट्र विरोधी व मोदी जी के विरोधियों ने हाथ मिला लिए हैं । इस आंदोलन की आड़ में पाकिस्तान व कुछ अन्य ताकते भी भारत विरोधी खेल,खेल रही हैं। लाल किले पर हुए घटनाक्रम को लेकर पूरा देश गुस्से में है, उसकी भर्त्सना कर रहा है और दूसरी तरफ उत्तराखंड युवक कांग्रेस द्वारा किये गये ट्वीट में उस घटना को महिमामंडित करने की कोशिश की गई है जो कांग्रेस देश विरोधी मानसिकता का परिचायक है।
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन में कई ऐसे तत्व काफी पहले प्रवेश कर गए थे जो किसी भी कीमत पर समाधान नहीं चाहते। इसी कारण सरकार के सकारात्मक रुखघ् व लगातार बात होने के बावजूद समाधान का कोई रास्ता नहीं निकल पाया। अब यह सच्चाई प्रकट हो चुकी है किसान आंदोलन में षड्यंत्रकारी तरीके से प्रवेश कर गए गैर किसान तत्वों में कुछ तत्व देश विरोधी व अलगाव वादी है जबकि कांग्रेस व वामदलों सहित कई तत्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के घोर विरोधी हैं और मोदी विरोध में वे देश विरोध तक चले जाते हैं। अब यह भी साफ है कि किसान आंदोलन में प्रवेश कर गए देश विरोधियों व कांग्रेस ,वाम दलों सहित मोदी विरोधियों ने हाथ मिला लिए हैं और उनके षड्यंत्र का एक दृश्य गणतंत्र दिवस पर देश व दुनिया के सामने आया है । इस सारे खेल में पाकिस्तान, खघलिस्तानी व दूसरी भारत विरोधी ताकते भी पूरी तरह सक्रिय हैं। साथ ही किसानों का नेतृत्व भी पूरी तरह असफल सिद्ध हुआ है जो षड्यंत्रकारियों के हाथों की कठपुतली बन गया है। गणतंत्र दिवस पर लाल कीले की घटना के बाद युवक कांग्रेस उत्तराखंड द्वारा एक ट्वीट किया गया  जिसमें लाल किले की घटना को महिमामंडित किया गया। यह ट्वीट निश्चय ही देश विरोधी है और कांग्रेस की मानसिकता का परिचाय भी देता है । इस ट्वीट का विरोध होने पर इसे हटा तो लिया गया लेकिन हटाने से न षड्यंत्र छुप सका है और न मानसिकता पर पर्दा पड़ सका। इसके लिए कांग्रेस को देश से माफी माँगनी चाहिए । साथ ही इस पर कार्यवाही भी की जानी चाहिए। इस संवेदनशील स्थिति में सभी को सावधान रहने की जरूरत है। कानून-व्यवस्था मामले की जाँच जैसे पहलुओं पर सरकार अपना काम करेगी पर हमें शान्ति बनाए रखते हुए सौहार्द को भी बिगड़ने नहीं देना है। अब किसानों को भी सारी स्थिति के बारे में विचार करना चाहिए। क्योंकि यह साफ हो गया है कि आंदोलन की आड़ में जो कुछ चलाया जा रहा है उसमें किसानों का कोई हित नहीं बल्कि भारत व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध का एजेंडा है।सच तो यह है कि कृषि कानून तो किसान हित में है लेकिन विदेशी ताकतें, अलगाव वादी शक्तियाँ देश विरोधी, बिचैलिये व मोदी जी के विरोधी, किसानों का नाम लेकर कुछ और चाहते हैं।

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