नेताओं को उनका काम बताना सेना की जिम्मेदारी नहीं है,अपने काम से रखें मतलबः-पी0 चिदम्बरम
तिरुअनंतपुरम। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि लोगों को हिंसा के लिए भड़काने वाले नेता नहीं हैं। शनिवार को केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा राजभवन के सामने आयोजित महारैली को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने सेना प्रमुख से अपने काम से मतलब रखने को कहा। महारैली का आयोजन नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में किया गया था। पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि सेनाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से सरकार का समर्थन करने के लिए कहा गया है। यह शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि अब सेना प्रमुख को बोलने के लिए कहा गया है। क्या यह उनका काम है? मैं जनरल रावत से आग्रह करना चाहता हूं कि आप सेना की अगुआई करते हैं। आप अपने काम से मतलब रखिए। नेताओं को जो करना है, नेता करेंगे। नेताओं को उनका काम बताना सेना की जिम्मेदारी नहीं है। इसी तरह लड़ाई कैसे जीती जाती है, सेना को यह बताना हमारा काम नहीं है।
क्या कहा था सेना प्रमुख ने? उल्लेखनीय है कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों की आलोचना करते हुए जनरल रावत ने कहा था कि लोगों को हिंसा और आगजनी के लिए भड़काने वाले नेता नहीं हैं। नेता उनको नहीं कहेंगे, जो लोगों को गलत दिशा में ले जाते हैं, जैसा कि हम देख रहे हैं कि बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र हिंसा और आगजनी के लिए भड़काए जा रहे हैं।
येचुरी ने बयान को घरेलू राजनीति में दखल बताया जनरल रावत के बयान को घरेलू राजनीति में दखल बताते हुए माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि यदि सैन्य बलों का राजनीतीकरण जारी रहा तो हालात और खराब होंगे। शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए माकपा नेता ने कहा कि सरकार आरोप लगा रही है कि प्रदर्शन हिंसक हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा और सेना प्रमुख ने भी कहा। लेकिन, वे अंदरूनी राजनीति से चिंतित नहीं हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि सेना प्रमुख ने घरेलू राजनीति पर अपना विचार प्रकट किया है। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है। यदि यह जारी रही, तो जैसा कि पाकिस्तान में सेना की भूमिका है, हमारे यहां भी वैसी ही हो जाएगी।