नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदेश में हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए बेहद कड़े निर्देश
लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदेश में हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहद कड़े निर्देश दिए हैं। पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने उपद्रवियों की पहचान कर उनकी संपत्ति नीलाम कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सीसीटीवी फुटेज, वीडियो व फोटो के जरिए उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। प्रदेश में सार्वजनिक व सरकारी संपत्तियों को हुए नुकसान के मूल्यांकन के आधार पर भरपाई के लिए इन सभी आरोपितों को नोटिस भेजे जाएंगे। लखनऊ में मूल्यांकन व क्षतिपूर्ति के लिए एडीम पूर्वी, एडीएम पश्चिम, एडीएम ट्रांसगोमती व एडीएम प्रशासन के नेतृत्व में चार टीमें गठित कर दी गई हैं। बताया गया कि लखनऊ में 19 दिसंबर को हुई घटनाओं को लेकर सीआरपीसी की धारा 149 के तहत उपद्रवियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जिनमें कहा गया है कि जमावड़ा व उसके फलस्वरूप उत्पन्न कानून व्यवस्था व शांतिभंग का प्रयास दंडनीय है। सार्वजनिक व निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाना, पथराव कर लोगों के जीवन से खिलवाड़, सार्वजनिक मार्ग को अवरुद्ध करना, आगजनी, बलवा व अन्य प्रकार से शांति भंग करना आपराधिक कार्य है।
यूपी पब्लिक मनी रिकवरी एक्ट के तहत होगी वसूली सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक व निजी संपत्ति को हुई क्षति के दृष्टिगत दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर क्षतिपूर्ति के लिए वसूली की विधिक कार्रवाई का आदेश दिया था। प्रदेश में आइजी कानून-व्यवस्था प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज करने के बाद यूपी पब्लिक मनी रिकवरी एक्ट के तहत नुकसान की वसूली का प्रावधान है।
वर्ष 2011 में इसे लेकर गृह विभाग ने एक शासनादेश भी जारी किया था। एडीएम फाइनेंस के जरिए यह कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाती है। तहसील से आरोपित के खिलाफ वसूली के लिए आरसी जारी होती है और कुर्क अमीन संबंधित की संपत्ति को अटैच करने की कार्रवाई कराते हैं। इसके बाद नीलामी कराकर वसूली की जाती है। अपर महाधिवक्ता वीके शाही का कहना है कि इस मामले में आरोपितों को चिह्नित करके कानूनी प्रकिया के तहत कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी।