Uttarakhand

मैक्स हॉस्पीटल ने इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के साथ मिलकर बोन एवं ज्वाइंट जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया

देहरादून। हर साल, अगस्त के पहले सप्ताह को पूरे भारत में हड्डी और जोड़ सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। यह इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के तत्वावधान में मनाया जाता है और इस वर्ष का विषय ’डिजेनरेटिव रोग में विकृति की रोकथाम (प्रिवेंशन ऑफ डिफोर्मिटी इन डिजनरेटिव डिजीज)’ है।
      मैक्स हॉस्पीटल ने इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के साथ मिलकर इस बोन एवं ज्वाइंट सप्हात के बारे में जागरूकता कायम करने के लिए एक सप्ताह तक विभिन्न् गतिविधियों का आयोजन किया। इसके तहत तीन दिन का निःशुल्क बोन एंड मास डेनसिटी टेस्ट का भी आयोजिन किया गया। इसके अलावा ओपीडी आने वाले मरीजों एवं उनके साथ आने वाले लोगों के लिए डिजेनरेटिव ज्वाइंट रोगों पर एक जन जागरूकता व्याख्यान का भी आयोजन किया गया। अनेक वेबिनारों’ ऑनलाइन बैठकों एवं विभिन्न् स्थानीय संगठनों एवं सीनियर सिटीजन समूहों के साथ ऑनलाइन चर्चाओं का आयोजन किया गया जिसे 200 से अधिक लोगों ने देखा। हमारी हड्डियाँ हमें सहारा देती हैं और हमारे शरीर को चलायमान बनाये रखने में मदद करती हैं। हड्डियां हमारे महत्वपूर्ण अंगों जैसे मस्तिष्क, हृदय, फेफड़े आदि की रक्षा करती हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि हम अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखें। ऐसी कई चीजें हैं जो हम अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए कर सकते हैं। सबसे अच्छा तरीका संतुलित आहार का विकल्प है जिसमें कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल हैं। इसके अलावा, जीवन शैली को स्वास्थ्यकर और स्वास्थ्यवर्धक बनाये रखने के लिए कम से कम आधे घंटे व्यायाम करना चाहिए।
      हड्डियों को प्रभावित करने वाली सबसे आम बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस है जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर होने का खतरा होता है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों को कलाई, रीढ़ और कूल्हों के फ्रैक्चर का सबसे अधिक खतरा होता है। कई लोगों की हड्डियाँ कमजोर होती हैं और उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं चलता। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि हड्डी का लंबे समय तक नुकसान होता रहता है और इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं। कई लोगों में, हड्डी में फ्रैक्चर होना ही इसका पहला संकेत होता है जो कि ओस्टियोपोरोसिस होने के कारण हो सकता है और उन्हें जल्द से जल्द इस स्थिति का इलाज कराना चाहिए।
       चूंकि ऑस्टियोपोरोसिस में जब तक कि कोई हड्डी टूट नहीं जाती है शरीर किसी भी लक्षण को प्रकट नहीं करता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने हड्डी के स्वास्थ्य के बारे में नियमित रूप से अपने डॉक्टर से परामर्श करें। यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा है, तो वे आपको अस्थि घनत्व परीक्षण (बोन डेंसिटी टेस्ट) कराने के लिए कह सकते हैं। अस्थि घनत्व परीक्षण में यह पता चलता है कि आपकी हड्डियाँ कितनी मजबूत या सघन हैं – और इससे यह भी पता चलेगा कि आपको ऑस्टियोपोरोसिस है या नहीं। यह हड्डी के टूटने की संभावनाओं का भी आकलन करता है। ऐसे परीक्षण कराने को लेकर मन में कोई डर नहीं होना चाहिए क्योंकि ये परीक्षण त्वरित, सुरक्षित और दर्द रहित हैं। ऐसे स्वास्थ सप्ताह का आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि आर्थराइटिस एवं ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं बुजुर्गों में विकलागंता का कारण बनती है। हर साल आर्थराइटिस एवं कमर दर्द के नए मामले काफी संख्या में सामने आते हैं जबकि ये दोनों समस्याओं का इलाज संभव है बशर्ते समय पर चिकित्सक की मदद ली जाए। इसलिए कोई व्यक्त्ाि जितना जल्दी मदद लेगा उसके लिए उतना बेहतर होगा और इलाज के परिणाम उतने ही अच्छे होंगे तथा जीवन की गुणवत्ता उतनी ही अधिक अच्छी होगी।
अपनी हड्डियों को आप स्वस्थ बनाए रख सकते हैं
– कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर संतुलित आहार लें।
– पर्याप्त शारीरिक गतिविधि करें।
– धूम्रपान न करें, और, यदि आप शराब पीते हैं, तो अपने सेवन को सीमित करें।
– गिरने से बचें।
– अपने चिकित्सक से परामर्श करें। अपने डॉक्टर के साथ अपने जोखिम कारकों के बारे में बात करें और पूछें कि क्या आपको अस्थि घनत्व परीक्षण करवाना चाहिए।
हमें कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए जो ऑस्टियोपोरोसिस या डिजेनरेटिव ज्वाइंट रोग होने का संकेत हो सकते हैं
– यदि आपकी उम्र 65 से अधिक है।
–  यदि 50 वर्ष की आयु के बाद आपकी हड्डी टूट रही है।
– यदि आप 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिला हैं और आपके शरीर में हार्मोन का बनना बंद हो गया है।
–  यदि आपका वजन कम (57 किग्रा से कम) है, आपका शरीर पतला या जीरो साइज का है।
–  यदि आप धूम्रपान करते हैं।
–  यदि आपको कभी पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिला है।
–  यदि आप रोजाना शराब के दो से अधिक पेय का सेवन करते हैं। हफ्ते में कई बार शराब का सेवन करते हैं।
–  यदि आपकी नजर कमजोर है, यहां तक कि चश्मे से भी कम दिखाई देता है।
–  यदि आप बार-बार गिरते हैं।
–  यदि आप सक्रिय नहीं हैं।
–  यदि आपको रह्युमेटाइड आर्थराइटिस, मधुमेह, फेफड़े की बीमारी जैसी कोई क्रोनिक बीमारी है।
–  यदि आप स्टेरॉयड, मिर्गी की दवा, थायरॉयड की दवा या कैंसर की दवा जैसी दवा का सेवन कर रहे हैं।

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