मध्य प्रदेश में भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं की भूमिका से बेहद नाराज है पार्टी आलाकमान
भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल द्वारा कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने के मामले पर पार्टी आलाकमान प्रदेश के शीर्षस्थ नेताओं की भूमिका से बेहद नाराज है। लोकसभा चुनाव में सभी 28 सीटें जीतने के बाद से इन नेताओं ने न तो संगठन पर ध्यान दिया और न ही विधायकों की नाराजगी टटोली। यह भी ध्यान नहीं दिया कि क्या चल रहा है। यही वजह है कि दो विधायकों को तोड़ने में कांग्रेस कामयाब हो गई। इस घटनाक्रम के बाद माना जा रहा है कि प्रदेश के दिग्गजों की भूमिका बदलने पर भी पार्टी विचार कर सकती है। पार्टी आलाकमान डैमेज कंट्रोल की चाबी भी अपने हाथों में रखना चाहता है, ताकि विधायकों में भरोसा बना रहे। इस रणनीति के चलते ही एक अगस्त को होने वाली बैठक में पार्टी के शीर्ष नेता भोपाल आ सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, मप्र भाजपा में काफी समय से सबकुछ सही नहीं चल रहा है। पहले भाजपा को विधानसभा चुनाव में पराजय मिली और अब विधानसभा में दो विधायक कांग्रेस के साथ चले जाने से बड़े नेताओं के बीच की अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई है। पार्टी आलाकमान ने विधायकों की नाराजगी के लिए सीधे तौर पर संगठन और बड़े नेताओं को जिम्मेदार माना है। इन नेताओं की कार्यप्रणाली से भी केंद्रीय नेतृत्व नाराज है। अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संगठन की निष्क्रियता, गुटबाजी और बड़े नेताओं की भूमिका पर रिपोर्ट तलब की है। इसकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कुछ नेताओं को सौंपी गई है। पार्टी के नेता आशंका जता रहे हैं कि कई बड़े नेताओं की भूमिका बदली जा सकती है। खासतौर पर संगठन और विधायक दल के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के अधिकार कम किए जा सकते हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि गुरुवार को प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह के दिल्ली दौरे के दौरान पार्टी के आला नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि मना करने के बाद भी सरकार गिराने को लेकर बार-बार बयान क्यों दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे जनता में ऐसा संदेश जा रहा है कि हमारे नेता सत्ता के बिना तड़प रहे हैं।
छापे का मुद्दा क्यों नहीं उठाया भाजपा में इन दिनों एक और मुद्दा उछल रही है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में जो छापामारी हुई थी, उस बारे में विधानसभा में कमलनाथ सरकार से जवाब क्यों नहीं मांगा गया। पोषण आहार घोटाले और तबादलों में की गई बंदरबांट को लेकर भाजपा क्यों मौन रही। पार्टी नेताओं की मानें तो अब केंद्रीय नेतृत्व डैमेज कंट्रोल की कमान खुद अपने हाथों में रखेगा। दोनों विधायकों को भी दिल्ली बुलाया गया है, जहां राष्ट्रीय संगठन महामंत्री उनसे बातचीत करेंगे।