जैवविविधता की हानि अब मानव जाति के लिए चेतावनी स्थिति में
-जैवविविधता के संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता
देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान देहरादून द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर जैव विविधता और इसके संरक्षण पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि जैवविविधता की हानि अब मानव जाति के लिए चेतावनी स्थिति में है और अब इसके संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि जैव विविधता के विनाश के लिए हम मानवों का हस्तक्षेप एवं हमारी बढ़ती हुई जनसंख्या है। मानव द्वारा प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि जंगली जानवर उनके प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के कारण मानव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। इस स्थिति को रोकने के लिए जैवविविधता का संरक्षण बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा वैश्विक ऊष्मीकरण भी जैवविविधता के लिए घातक है। इसे रोकेने के लिए भी कुछ उपाय करने होंगे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में दीपक मिश्रा, प्रमुख, विस्तार प्रभागने मुख्य अतिथि और अन्य सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा अपने स्वागत भाषण में जैवविविधता और उसके महत्व के बारे में बताया। इस अवसर पर वनस्पति विज्ञान प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के प्रमुख, डा0 अनुप चन्द्रा द्वारा जैवविविधता और इसके संरक्षण पर व्याख्ययान दिया गया। उन्होंने बताया कि जैवविविधता का संरक्षण पारिस्थितिकी संतुलन के लिए नितान्त आवश्यक है। उन्होंने भारत में जैवविविधता की स्थिति पर विस्तार से अपने विचार रखे और उसके संरक्षण के बारे में सुझाव दिए। इस अवसर पर वन अनुसंधान संस्थान के परिसर तथा कीट पतंगों की जैवविविधता पर लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया गया। लघु फिल्मों के प्रदर्शन के बाद पूर्व में मार्च 2021 को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2021 के अवसर पर ‘‘स्वथ्य मानवता के लिए स्वस्थ वन’’ विषय पर केन्द्रीय विद्यालय एवं नवोदय विद्यालय के कनिष्ठ एवं वरिष्ठ समूह के छात्र छात्राओं के लिए आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किए गए। कार्यक्रम के अंत में डा0 चरण सिंह, वैज्ञानिक-एफ, विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया गया।