जान-बूझ कर लोन न चुकाने वालों ने बैंकों को लगाया 516 करोड़ का चूना
सार्वजनिक बैंकों ने इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में 38 विलफुल डिफाल्टर के करीब 516 करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाल दिया है. वित्त मंत्रालय द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है. यही नहीं, आंकड़ों के मुताबिक अब तक 8,915 विलफुल डिफाल्टर ने सार्वजनिक बैंकों का कुल 92,376 करोड़ रुपये का लोन नहीं चुकाया है.
विलफुल डिफाल्टर उसे कहते हैं जो लोन चुकाने की क्षमता रखते हैं, लेकिन जान-बूझ कर लोन नहीं चुकाते हैं, या आनाकानी करते हैं. विलफुल डिफाल्टर अक्सर बैंक से मिली रकम का इस्तेमाल उस काम के लिए नहीं करते, जिसके लिए लोन मिला है, बल्कि उसे किसी और काम में लगा देते हैं. समाचार एजेंस पीटीआई के अनुसार, अप्रैल से सितंबर 2017-18 के बीच 38 डिफाल्टर्स के लोन को राइट ऑफ कर दिया है यानी उसे बट्टा खाता में डाल दिया है.
राइट ऑफ बैंक ऐसे कर्ज को करते हैं, जिसके वापस मिलने की उम्मीद बहुत कम रहती है और उसके लिए बैंक अपनी कमाई से 100 फीसदी प्रोविजनिंग करते हैं. इसके बाद इस एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट को बैंक के बहीखाते से बाहर कर दिया जाता है. हालांकि, इससे बैंकों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट पर चोट पहुंचती है, इसलिए बहीखाते पर दबाव रहता है.
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने साल 2015 में सभी बैंकों को निर्देश दिया था कि वे जरूरी मामलों में कर्ज लेने वालों और गारंटर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करें और लोन की वसूली तेज की जाए.
एसबीआई का 25,104 करोड़ फंसा
आंकड़ों के मुताबिक के 31 मार्च, 2017 तक देश में सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एसबीआई द्वारा दिए गए लोन का 27 फीसदी से ज्यादा हिस्सा विलफुल डिफाल्टर के पास फंसा है. करीब 1,762 विलफुल डिफाल्टर्स ने बैंक का 25,104 करोड़ रुपये का लोन नहीं लौटाया है. इसकी वजह से उसके बहीखाते पर काफी दबाव है. इसके बाद दूसरा नंबर घोटाले का शिकार पीएनबी का है. पीएनबी के 1,220 विलफुल डिफाल्टर ने 12,278 करोड़ रुपये का लोन दबा रखा है.