लगातार पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई से वायु प्रदूषण के कारण स्माॅग का खतरा
पटना । प्रदूषण, जिसपर हम चर्चा तो करते हैं लेकिन इसके लिए करते कुछ नहीं। हमें भौतिक सुख-सुविधाएं तो चाहिए ही चाहिए, लेकिन इसकी आड़ में हम अपनी धरती का कितना नुकसान कर रहे इसका हमें अंदाजा नहीं। धरती जो हमारी जरुरतों को पूरा सकती है लेकिन हमारा लालच नहीं। सही है हम इतने लालची हो गए कि हमने धरती का दोहन नहीं शोषण करना शुरू कर दिया जिसका परिणाम आने वाले समय में कितना भयावह हो सकता है इसका हमें अंदाजा नहीं। हम खुशनसीब हैं कि हमें प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है। पीने का पानी, सांस लेने के लिए हवा, सूरज की धूप, चंद्रमा की शीतल चांदनी पेड़-पौधे जीव-जंतु और भी बहुत कुछ, लेकिन हम मनुष्य अपनी जरूरतों को बढ़ाते गए और आज हमारी जरूरतें इतनी ज्यादा हो गई हैं कि हम दौड़ते-भागते बैंक बैलेंस बढ़ाने में लगे हैं। पृथ्वी प्रदूषण को रोकने के लिए हमें बार-बार चेतावनी दे रही है, जो केदारनाथ की बाढ़ और दिल्ली में स्मॉग जिससे सांसे लेने में तकलीफ के रूप में सामने आ रही है।लगातार बढती जनसंख्या और पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई जिससे हरियाली खत्म होने के साथ जीव जंतु धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। गोरैया, तितलियां, कई तरह के जीव जंतु सब जाने कहां चले जा रहे हैं? हमारे ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं, गंगा का पानी सूखता जा रहा है। सांसें लेने के लिए शुद्ध हवा नहीं मिल रही। पानी की बोतलें खरीदकर पीनी पड़ रही हैं। जब शुद्ध पानी और शुद्ध हवा ही हमें नसीब नहीं तो हम आने वाली पीढ़ी को विरासत में क्या देंगे। बीमारियां और स्मॉग…. अब वक्ता आ गया है, हमारी सरकार या कोई संस्था इस बारे में सोच सकती है प्लानिंग कर सकती है रास्ता दिखा सकती है लेकिन कदम तो हमें ही बढ़ाना होगा। आज हमारे पास सुख-सुविधा के तमाम साधन मौजूद हैं । हम लग्जरी गाड़ी में बैठते हैं जिसके अंदर एसी चलने से तो कूल-कूल रहता है लेकिन बाहर का तापमान एेसा होता है कि चमड़ा झुलस जाए। विज्ञान और प्रकृति का सामंजस्य हमें ही बैठाना होगा। विज्ञान प्रकृति के बारे में जानने के लिए प्रयोग हो ना कि उसके विनाश के लिए। घर को साफ सुथरा रखने के साथ ही हमें बाहर भी सफाई रखनी होगी और एक बार फिर से पुरानी पद्धति अपनानी होगी। छायादार वृक्षों को अगर ब्रह्म बाबा और नदियों को अगर मां कहा गया था तो आज हमें उसे ही अपनाना होगा। नदियों के रूप में मां को छायादार वृक्षों यानि पिता को बचाने के लिए अब आगे आना ही होगा।